Karwa Chauth 2024: करवा चौथ शादीशुदा महिलाओं का खास त्योहार है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चांद को देखकर व्रत तोड़ती हैं. इस बार करवा चौथ को लेकर थोड़ी असमंजस बनी हुई है कि यह 20 (अक्टूबर) को मनाया जाएगा या 21 तारीख को.आइए जानें करवा चौथ की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत के नियम.
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श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस साल करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर (रविवार) को मनाया जाएगा. इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं और उनका गृहस्थ जीवन सुखद रहे इसके लिए व्रत रखती हैं.
सुबह 4 बजे से शुरू हो जाएगा व्रत
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि करवा चौथ का व्रत सुबह सूर्योदय से पहले ही 4 बजे के बाद शुरु हो जाता है और रात को चांद देखने के बाद ही व्रत को खोला जाता है. इस दिन श्रीगणेश, भगवान शिव, माता पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और चंद्रदेव की पूजा अर्चना की जाती है. इसके साथ ही करवा चौथ व्रत की कथा भी सुनी जाती है. महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि शादी के बाद 12 या 16 साल तक लगातार इस उपवास को किया जाता है लेकिन इच्छानुसार जीवनभर भी विवाहिताएं इस व्रत को रख सकती हैं.
करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर शरू होगी. चतुर्थी तिथि का समापन अगले दिन 21 अक्टूबर सोमवार सुबह 04 बजकर 18 मिनट पर हो रहा है.
व्रत के नियम
करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी (व्रत का भोजन) करती हैं, जिसे सास के द्वारा दिया जाता है. इसके बाद पूरे दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं यानी बिना कुछ खाए या पिए. करवा चौथ की पूजा शाम के समय चंद्रोदय से पहले की जाती है. महिलाएं मां पार्वती, भगवान शिव, और भगवान गणेश की पूजा करती हैं.रात को चंद्रमा के दर्शन कर और चांद को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ा जाता है. इसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर व्रत समाप्त होता है.
व्रत की खास बातें
करवा चौथ में सरगी का विशेष महत्व होता है, जिसमें फल, मिठाई, और सूखे मेवे होते हैं. पूजा के लिए महिलाएं सुहाग की वस्तुएं, जैसे बिंदी, चूड़ियां, सिंदूर, और लाल कपड़े पहनती हैं. महिलाएं पूरे दिन अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं.
इन मंत्रों का करें जाप
”ॐनम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥”
‘ॐ शिवायै नमः‘ से पार्वती का, ‘ॐ नमः शिवाय‘ से शिव का, ‘ॐ षण्मुखाय नमः‘ से स्वामी कार्तिकेय का, ‘ॐ गणेशाय नमः‘ से गणेश का तथा ‘ॐ सोमाय नमः‘ से चंद्रमा का पूजन करें.
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