कोरोना काल के दौरान स्वास्थ्य महानिदेशालय से आई करीब 15 लाख की नई एंबुलेंस विभागीय जिम्मेदारों की लापरवाही की वजह से खड़े-खड़े कबाड़ हो गई. यह एंबुलेंस अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस था, मगर उदासीनता का आलम इस कदर कि शासन की तरफ से इस एंबुलेंस का न तो पंजीकरण कराया गया और न ही एएलएस यानी एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम से ही इसे जोड़ने के लिए बजट और सामान ही भेजा गया. वहीं जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि पंजीकरण न होने के कारण इस एंबुलेंस का कोई प्रयोग नहीं हो पा रहा है. करीब तीन साल पूर्व स्वास्थ्य निदेशालय से एक एंबुलेंस बस्ती स्वास्थ्य महकमे को भेजी गई थी. उस समय यह कहा गया था कि इसको भेजी गई थी. उस समय यह कहा गया था कि इस एंबुलेंस में एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम लगाया जाएगा और इसे 108 के बजाय डायरेक्ट स्वास्थ्य विभाग के सीएमओ अपने स्तर से जरूरतमंद को उपलब्ध करवाएंगे.
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During the Corona period, a new ambulance worth about 15 lakhs, which came from the Directorate General of Health, became a standing junk due to the negligence of the departmental responsible. This ambulance was equipped with state-of-the-art facilities, but the state of indifference was such that neither the registration of this ambulance was done by the government. Nor was the budget and material sent to connect it with ALS i.e. Advanced Life Support System itself. On the other hand, the responsible officials say that due to lack of registration, this ambulance is not being used. About three years ago, an ambulance was sent from the Health Directorate to the Basti Health Department. At that time it was said that it was sent. At that time it was said that advance life support system would be installed in this ambulance and instead of 108, the CMO of the Health Department would make it available to the needy from his own level.
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