उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने निषाद पार्टी के साथ लखनऊ में 17 दिसंबर को संयुक्त रैली की थी. इस रैली में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद मौजूद रहे थे. बीजेपी-निषाद पार्टी की संयुक्त रैली में निषादों को आरक्षण न देने की घोषणा से संजय निषाद नाराज बताए जा रहे हैं. इसी मुद्दे पर यूपी तक ने उनसे बातचीत की है.
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रैली में आरक्षण की मांग को लेकर कोई ‘ठोस कार्रवाई न होने पर’ संजय निषाद ने कहा,
“बड़ी उम्मीद के साथ लोग आए थे (रैली में). सदियों से इनकी मांग है, संविधान में लिखा है…मझवार और तुरैया, पिछली सरकारों ने गोलमाल करके उनके सरनेम को पिछड़े में डाल दिया. इसकी वकालत योगी आदित्यनाथ खुद करते रहे हैं, उनके ढेर सारे वीडियो हैं. जो वकील खुद जज बन जाए और हम जज को मंच पर बुलाएं और जजमेंट सुनने के लिए जब सभी आतुर थे…लोग बड़ा मायूस हुए और उस पर विरोध प्रदर्शन भी लोगों ने किया.”
उन्होंने आगे कहा, “आरक्षण नहीं तो वोट नहीं, आरक्षण नहीं तो गठबंधन तोड़ दो, तमाम ढेर सारे आक्रोश हमारे चीफ गेस्ट के सामने पैदा किए गए, हमें थोड़ा खराब लगा. एक शब्द बोलना चाहिए था इनको…लोगों को स्पष्टीकरण चाहिए था कि सरकार कर रही है या नहीं कर रही है. अगर करेगी तो कितने दिन में करेगी. एक शब्द बोल दिए होते तो जो लोग खुशी-खुशी आए थे वे खुशी-खुशी जाते.”
संजय निषाद ने कहा, “गुस्से में जब हमारा समाज आता है तो बहुत बड़ा परिवर्तन करता है. गुस्से में 2014 और 2017 में आए, आपने देखा क्या हुआ एसपी-बीएसपी का.”
निषाद पार्टी के अध्यक्ष ने कहा, “एक उदाहरण हमारे लोग देते हैं कि संविधान में सवर्ण का आरक्षण नहीं लिखा था, उसे 72 घंटे के अंदर लिखकर के 10% दे दिया. जो मेरा लिखा हुआ है, उसे लागू कराने में किया दिक्कत आ रही है. अगर कोई दिक्कत आ रही है तो बताएं, उसे मिलकर के हम सॉल्व करते हैं.”
संजय निषाद का पूरा इंटरव्यू आप ऊपर दिए गए वीडियो में देख सकते हैं.
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