उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) दलित मतदाताओं को अपनी ओर खींचने में लगी हुई है. उत्तर प्रदेश की आबादी में दलित मतदाताओं की संख्या लगभग 19 फीसदी है, जिनमें से जाटव मतदाताओं की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है.
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अब इस वोट बैंक को अपने पाले में लाने के लिए बीजेपी ने उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को आगरा ग्रामीण सीट से मैदान में उतार उतार दिया है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या बेबी रानी मौर्य बीएसपी को टक्कर देकर जाटव वोट बैंक में सेंधमारी कर पाएंगी या नहीं.
पश्चिमी यूपी में दलितों की अच्छी खासी संख्या है. बीएसपी भी पश्चिमी यूपी में काफी मजबूत मानी जाती है. अब आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी बेबी रानी मौर्य को जाटव नेता के रूप में पेश कर रही है. बीजेपी ने बेबी रानी मौर्य के साथ जाटव शब्द जोड़कर तमाम पोस्टर्स और होर्डिंग्स लगवाए हैं.
आपको बता दें कि बेबी रानी मौर्य ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत आगरा से की थी. आगरा की पहली महिला मेयर बनने वालीं बेबी रानी मौर्य पिछले तीन दशक से बीजेपी के साथ जुड़ी हुई हैं.
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