उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 25 दिसंबर को राज्य की योगी सरकार ने एक करोड़ युवाओं को फ्री स्मार्टफोन और टैबलेट देने की योजना की शुरुआत की. उस दौरान प्रदेश के 60 हजार स्टूडेंट्स को स्मार्टफोन और टैबलेट बांटे गए.
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यूपी तक ने उन लाभार्थी स्टूडेंट्स से बातचीत की, जिन्हें स्मार्टफोन और टैबलेट मिले और उनसे जानने की कोशिश की कि इसका वह किस तरह से प्रयोग कर रहे हैं.
लखनऊ यूनिवर्सिटी में एमएसी कोर्स की पढ़ाई कर रहे देवेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि उन्हें 25 दिसंबर को सरकार की तरफ से टैबलेट मिला.
उन्होंने कहा, “इस टैबलेट के मिलने से हमें काफी फायदा है. इससे पढ़ाई में लाभ मिलेगा. जिन चीजों को अभी तक हम मोबाइल के छोटे डिस्प्ले में देख रहे थे उसे अब हम बड़े स्क्रीन में देख पाएंगे और आसानी से पढ़ाई कर पाएंगे.”
देवेंद्र त्रिपाठी ने बताया, “जब हमने टैबलेट को नेट से कनेक्ट किया तो पता चला कि जो भी डेटा इसमें कनेक्ट हो रहा है, वो पर्सनल डेटा नहीं होगा, उसे एडमिन कंट्रोल करेगा और एडमिन आईटी सेल है…सभी गतिविधियां आईटी सेक्शन के अंडर कंट्रोल रहेंगी. ये ड्राबैक है. अगर ये नहीं होता तो अच्छा रहता.”
उन्होंने आगे कहा, “इसमें (टैबलेट) यह भी बताया गया है कि आईटी एडमिन किसी भी समय कोई डेटा डिलीट कर सकता है, जोकि ये गलत है.”
वहीं फिजिक्स के रिसर्च स्कॉलर परमजीत का कहना है, “सरकार की इस योजना से कई छात्रों को लाभ मिलेगा. डेटा को लेकर छात्रों को डरने की जरूरत नहीं है. सरकार डेटा मॉनिटर कर रही है, लेकिन वो सेफ रहेगा.”
उन्होंने बताया, “सभी टैबलेट और स्मार्टफोन को क्यूआर कोड से लिंक किया गया है. क्यूआर कोड को स्कैन करने पर छात्र का पूरा डेटा सामने आ जाएगा…इससे संबंधित छात्र को उनके कोर्स के अनुसार नोटिफिकेशन मिलेगी. जिससे छात्र आसानी से पढ़ाई कर पाएंगे.”
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