कहते हैं कि वक्त एक ऐसी चीज है जो पलटकर जरूर आता है.. इसे वक्त का पहिया ही तो कहेंगे कि जहां अतीक ने अपने उस्ताद की हत्या की थी.. वहीं अतीक अहमद को भी गोली मारी गई.. यानि वक्त एक बार फिर लौट आया लेकिन इस बार कत्ल कातिल का हुआ..दरअसल अतीक अहमद और अशरफ अहमद की 15 अप्रैल की रात गोली मारकर हत्या कर दी गई लेकिन जहां उसकी हत्या हुई.. वो उसी जगह के करीब हुई जहां करीब तीन दशक पहले यानि 1990 में अतीक ने कथित तौर पर अपने गुरु चांद बाबा की हत्या कर दी थी..
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