Krishna Janmabhoomi-Shahi Idgah case: कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह केस में अब 21 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. शाही ईदगाह कमेटी (मुस्लिम पक्ष) की तरफ से दाखिल कुल तीन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ सुनवाई करेगी. मुस्लिम पक्ष की याचिकाओं में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमे हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की ओर से दायर मुकदमे को सुनवाई लायक (मेंटेनेबल) माना था.
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मुस्लिम पक्ष की दूसरी याचिका में उस फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है जिसमें मथुरा की निचली अदालत में चल रहे सभी मुकदमों को हाई कोर्ट द्वारा अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने का फैसला शामिल है. इसके अलावा मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट के उस आदेश को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमे हाईकोर्ट ने इस विवाद से जुड़े सभी 15 मुकदमों को एक साथ जोड़ कर सुनवाई के फैसला लिया था.
हाई कोर्ट के किस फैसले का मुस्लिम पक्ष कर रहा विरोध?
इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में जस्टिस मयंक जैन की बेंच ने एक अगस्त, 2024 को हिंदू पक्ष के मुकदमों को चुनौती देने वाले मुस्लिम पक्ष के आवेदन खारिज कर दिए थे और कहा था कि हिंदू पक्ष के सभी मुकदमे पोषणीय (सुनवाई योग्य) हैं. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि ये मुकदमे समय सीमा, वक्फ अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से बाधित नहीं हैं. पूजा स्थल अधिनियम किसी भी धार्मिक ढांचे को जो 15 अगस्त, 1947 को मौजूद था, उसे परिवर्तित करने से रोकता है.
आपको बता दें कि हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह मस्जिद का ढांचा हटाने के बाद जमीन का कब्जा लेने और मंदिर बहाल करने के लिए 18 मुकदमे दाखिल किए हैं. यह विवाद मथुरा में मुगल सम्राट औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है. हिंदू पक्ष का दावा है कि इस मस्जिद को कथित तौर पर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाया गया है. हालांकि, मुस्लिम पक्ष (शाही ईदगाह की प्रबंधन समिति और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड) ने इन मुकदमों का विभिन्न आधार पर विरोध किया है.
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