हिंदू पलायन करते रहे, मुस्लिम परिवार बढ़ते रहे…मुजफ्फरनगर में मिला शिव मंदिर, ये है इसकी कहानी

संदीप सैनी

18 Dec 2024 (अपडेटेड: 18 Dec 2024, 11:01 AM)

UP News: संभल और वाराणसी में मिले मंदिर लगातार चर्चाओं में बने हुए हैं. इसी बीच अब पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में भी मुस्लिम इलाके में प्राचीन शिव मंदिर मिला है. अब इसकी ये कहानी सामने आई है.

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संभल और वाराणसी के बाद मुजफ्फरनगर के मुस्लिम इलाके में भी मंदिर मिला है.

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UP News: संभल और वाराणसी में मिले मंदिर लगातार चर्चाओं में बने हुए हैं. इसी बीच अब पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में भी मुस्लिम इलाके में प्राचीन शिव मंदिर मिला है. अब ये मंदिर खंडहर बन चुका है. बताया जा रहा है कि जब यह मंदिर स्थापित किया गया था, उस समय ये इलाका हिंदू बाहुल्य था. मगर दंगों के बाद हिंदू परिवारों ने ये इलाका छोड़ दिया और ये इलाका मुस्लिम बाहुल्य हो गया. तभी से मंदिर में पूजा-अर्चना बंद हो गई और ये मंदिर भी बंद हो गया.

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दरअसल नगर कोतवाली क्षेत्र के मोहनलाल लद्दावाला मोहल्ले में 54 साल पहले यानी साल 1970 में भगवान शिव शंकर के मंदिर की स्थापना की गई थी. उस समय यहां बड़े पैमाने पर हिंदू परिवार रहते थे. मगर दंगों और समय के साथ यहां हिंदू परिवार कम होते गए और धीरे-धीरे इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी बढ़ती गई. तभी से ये मंदिर खंडहर में बदला चला गया. 

क्या है इस मंदिर की कहानी?

मिली जानकारी के मुताबिक, राम मंदिर विवाद के बाद हुए दंगों के समय यहां पर रहने वाले हिंदू समाज के लोग इस मोहल्ले को छोड़कर दूसरी जगह पलायन कर गए थे. पलायन करते समय ये लोग अपने साथ इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग और अन्य भगवानों की मूर्ति को भी ले गए थे.

इसके बाद से इस मोहल्ले में लगातार मुस्लिम समाज की आबादी बढ़ती चली गई और यह मंदिर खंडहर हालत में तब्दील हो गया. आज ये मंदिर खंडहर में बदल चुका है. मंदिर के अंदर कोई शिवलिंग भी नहीं हैं और ना कोई मूर्ति है. यहां कोई पूजा-अर्चना करने भी नहीं आता है.

जिसने किया पलायन उन्होने मंदिर को लेकर ये बताया

यहां से पलायन करने वाले परिवार के सदस्य सुधीर खटीक ने बताया, साल 1970 में इस मंदिर की स्थापना की गई थी. कुछ समय बाद ही राम मंदिर का मुद्दा उठ गया. फिर दंगों का दौर चला. यहां से हिंदू पलायन करते रहे और मुस्लिम जनसंख्या बढ़ती गई. फिर यहां पूजा करना असंभव सा हो गया. ये देख साल 1990 या 91 में मंदिर की मूर्तियां दूसरे मंदिर में ले जाई गई. अब मंदिर पर अतिक्रमण भी किया जा रहा है.

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