सिलक्यारा सुरंग से बाहर आने के बाद घर पहुंचा मनजीत, मां को देख फूट-फूटकर लगा रोने, ऐसा रहा नजारा

अभिषेक वर्मा

02 Dec 2023 (अपडेटेड: 02 Dec 2023, 07:06 AM)

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री नेशनल हाइवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग (Uttarkashi Tunnel Rescue) का एक हिस्सा ढहने के कारण सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को अब बाहर निकाल लिया गया है.

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Lakhimpur Kheri News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री नेशनल हाइवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग (Uttarkashi Tunnel Rescue) का एक हिस्सा ढहने के कारण सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को अब बाहर निकाल लिया गया है. आपको बता दें कि इन 41 मजदूरों में 8 उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे. अब सभी आठों मजदूरों का एक-एक कर अपने-अपने घर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका है. इस बीच टनल से सुरक्षित निकालकर लखीमपुर खीरी स्थित अपने घर पहुंचे मनजीत के यहां भावुक नजारा देखने को मिला. मंजीत घर पर अपनी मां के साथ लिपटकर रोने लगा. भावुक मां भी बेटे को देख फूट-फूट कर रोने लगी. इस दौरान परिवार वालों ने मनजीत की आरती उतारी. मनजीत के घर मौजूद लोगों ने ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए.

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महिलाओं ने उतारी मनजीत की आरती

आपको बता दें कि 17 दिन तक सुरंग में फंसे रहने के बाद मनजीत जब सुरक्षित अपने घर पहुंचा तो परिजन अपने लाल को देख भावुक हो गए. मनजीत के घर पहुंचते ही वहां मौजूद महिलाओं ने उसकी आरती उतारी. बेटे को देखने के बाद मां फूट-फूट कर रोने लगी. मां को रोता हुआ देखकर मनजीत भी लिपटकर रोने लगा. इस दौरान सैंकड़ों की संख्या में ग्रामीण मनजीत के घर के बाहर मौजूद रहे. इस दौरान मनजीत के घर के बाहर डीजे बज रहा था. माहौल मानो एक दम दिवाली जैसा था.

इस तरह टनल से किया गया मजदूरों को रेस्क्यू

बता दें कि उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग बनाई जा रही है. वहीं 17 दिन पहले सुरंग में हुए हादसे में 41 मजदूर अंदर ही फंस गए. सुरंग में मलबा हटाने के लिए सबसे पहले जेसीबी लगाई गई, लेकिन ऊपर से मलबा गिरने पर सफलता नहीं मिल पाई तो देहरादून से ऑगर मशीन मंगाकर सुरंग में ड्रिलिंग शुरू की गई. ऑगर मशीन जवाब दे गई. फिर दिल्ली से अमेरिकन ऑगर मशीन मौके पर पहुंचाई गई. इसके लिए वायुसेना के हरक्यूलिस विमानों की मदद ली गई. कटर से ऑगर को काटने के बाद 16वें दिन मैनुअल ड्रिलिंग शुरू की गई और आज 17वें दिन जिंदगी का पाइप श्रमिकों तक पहुंचा दिया गया.

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