Uttar Pradesh News : 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को उम्मीद थी कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर सीट से चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाई जाए, लेकिन इस बार भी ऐसा हो ना सका. पिछले दस साल से सांसद रहे भाजपा के संजीव बालियान के जीत का रथ सपा के हरेंद्र मलिक ने रोका. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में संजीव बालियान ने जीत दर्ज की. वही 2019 में उन्होंने रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह को हराया था पर इस चुनाव में हरेंद्र मलिक ने पासा पलट दिया. वहीं सांसद बनने के बाद यूपी तक से किए गए एक खास बातचीत में हरेंद्र मलिक ने तमाम मुद्दों पर अपनी राय रखी.
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जयंत और अखिलेश का क्यों छूटा साथ
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से हरेंद्र मलिक को एसपी का कैंडिडेट घोषित कर अपने वादे को निभाया. एक तरह से उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह का साथ छोड़ना मंजूर किया, लेकिन हरेंद्र मलिक को साथ नहीं छोड़ा... इस बात में कितनी सच्चाई है? इस सवाल पर हरेंद्र मलिक ने बताया कि, 'जयंत चौधरी चाह रहे थे कि मैं उनकी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ू. बाद में उन्होंने मेरा नाम पर कोई आपत्ति भी नहीं जताई, मेरे नाम पर भी सहमत थे. ऐसी कोई बात नहीं थी. गठबंधन टूटने की पीछे मेरा टिकट कोई वजह नहीं था. आप जयंत पर सवाल उठाते है पर नीतीश कुमार पर नहीं, जिस रास्ते से नीतीश कुमार भाजपा के साथ गए उसी रास्ते से जयंत भी गए. अगर मेरी सीट की वजह से जयंत और अखिलेश का गठबंधन का टूटा तो भाजपा के साथ जाने के बाद भी रालोद को सीट मिलनी चाहिए थी पर ऐसा तो कुछ हुआ नहीं. '
कैसे हासिल की जीत
वहीं मुजफ्फरनगर से अपनी जीत को लेकर हरेंद्र मलिक ने कहा कि, 'हमारी जीत पर किसी को अचंभा नहीं होना चाहिए क्योंकि हमारे खिलाफ कोई राजनीति आदमी नहीं लड़ रहा था. भाजपा के प्रत्याशी को मैं अपना राजनीतिक नहीं मानता हूं. मुझे से जीना यहां और मरना ही यहां है. बाकी लोगों ने मेरा खूब साथ दिया, उन्हें पता था कि वो सही आदमी के साथ हैं और भाजपा के लोग धमका कर भी हमारे वोट तोड़ नहीं पाए.'
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