समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 69 हजार सहायक शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण के मुद्दे पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हालिया आदेश को राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार की ‘ढीली पैरवी’ का नतीजा करार दिया.
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अखिलेश ने बुधवार को इस मामले को लेकर कई ट्वीट किये और सरकार को घेरने की कोशिश की.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा है, ‘‘69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती पर आया फ़ैसला, आरक्षण की मूल भावना की विरोधी भाजपा सरकार की ढीली पैरवी का नतीजा है. भाजपा दलित-पिछड़ों का हक़ मारने के लिए आरक्षण को विधायी माया जाल में फंसाती है. जातीय जनगणना ही इस समस्या का सही समाधान है जिससे कि जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण हो सके.”
https://twitter.com/yadavakhilesh/status/1635862344160145410
पूर्व मुख्यमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘ये है भाजपा सरकार में दलित-पिछड़ों के साथ हुए दुर्व्यवहार की दुखद गाथा। क्या यही ‘आज़ादी का अमृतकाल’ हैं जहां सहायक शिक्षिकाएं अपनी रोज़ी-रोटी की रक्षा के लिए सड़कों पर बिलख रही हैं. क्या ऐसे ही भारत बनेगा विश्वगुरु? अबकी बार, 69,000 लाएँगे बदलाव.”
https://twitter.com/yadavakhilesh/status/1635929479334752256
उन्होंने आगे लिखा है, ”जहां अपने हक के लिए प्रदर्शन करने का भी हक़ न हो उस लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए सबको आगे आना होगा. अब दलित-पिछड़े युवा आरक्षण को लेकर भाजपा की सोच और साज़िश दोनों को समझ गए हैं. भाजपा याद रखे युवा में युग बदलने की शक्ति होती है.”
गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने गत 13 मार्च को उत्तर प्रदेश सरकार को झटका देते हुए सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा (एटीआरई) के तहत राज्य में 69 हजार शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जून 2020 में जारी सूची की समीक्षा करके तीन महीने के अंदर उचित तरीके से आरक्षण तय करने के निर्देश दिए थे.
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