क्या है वो केस, जिसमें सपा MLA अभय सिंह को हाईकोर्ट के एक जज ने किया बरी तो दूसरे ने सुनाई सजा
Uttar Pradesh News : समाजवादी पार्टी के अयोध्या की गोसाईगंज सीट से विधायक अभय सिंह पर हत्या के प्रयास मामले में शुक्रवार को लखनऊ हाईकोर्ट बेंच के समझ सुनवाई हुई.
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Uttar Pradesh News : समाजवादी पार्टी के अयोध्या की गोसाईगंज सीट से विधायक अभय सिंह पर हत्या के प्रयास मामले में शुक्रवार को लखनऊ हाईकोर्ट बेंच के समझ सुनवाई हुई. लेकिन सुनवाई कर रहें लखनऊ पीठ के दो जजों ने विधायक के मामले में अलग-अलग फैसला सुनाया है. एक जज ने जहां विधायक अभय सिंह को इस मामले में तीन साल की सजा सुनाई. वहीं, दूसरे ने अभय सिंह बरी कर दिया. डबल बेंच के दो जजों, जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव ने अलग-अलग निर्णय दिए, जिससे अब इस मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट की नई बेंच में भेजा गया है.
क्या है पूरा मामला
बता दें कि ये मामला साल 2010 का है, उस समय उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार थी. अयोध्या के महाराजगंज इलाके में रात करीब 8:30 बजे विकास सिंह उर्फ विकास देवगढ़ अपने साथियों के साथ स्कॉर्पियो (UP 42 M 4140) में लौट रहे थे. तभी एक काली सफारी (UP 32 CA 9473) ने उनकी गाड़ी को ओवरटेक किया. सफारी में बैठे अभय सिंह, रमाकांत यादव और रविकांत यादव ने विकास की स्कॉर्पियो पर फायरिंग शुरू कर दी. विकास सिंह ने उसी रात 9:35 बजे महाराजगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई. एफआईआर में अभय सिंह समेत सात आरोपियों का नाम लिया गया.
जांच और चार्जशीट
पुलिस ने मामले की जांच कर सभी सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. अयोध्या की एमपी/एमएलए कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ, लेकिन 2022 में एक आरोपी शंभूनाथ सिंह ने ट्रायल को दूसरे जिले में ट्रांसफर करने की अपील की. 2023 में हाई कोर्ट ने ट्रायल अंबेडकर नगर की एमपी/एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया. 10 मई 2023 को अंबेडकर नगर कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया. इसके खिलाफ विकास सिंह ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की.
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हाई कोर्ट का डबल फैसला
हाई कोर्ट की डबल बेंच ने 20 दिसंबर 2024 को फैसला सुनाया. जस्टिस एआर मसूदी ने अभय सिंह समेत पांच आरोपियों को तीन साल की सजा और ₹5000 का जुर्माना लगाया. वहीं, गिरीश पांडे और विजय गुप्ता को बरी कर दिया. दूसरी तरफ, जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव ने विकास सिंह की अपील खारिज करते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया.
अलग-अलग फैसलों का कारण
जस्टिस मसूदी ने पुलिस की चार्जशीट और विकास सिंह की स्कॉर्पियो पर गोलीबारी के सबूतों को आधार माना तो वहीं जस्टिस श्रीवास्तव ने स्कॉर्पियो की जब्ती में देरी और घटनास्थल से कोई खोखा या कारतूस न मिलने को पुलिस की लापरवाही बताया. अब इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा गठित नई बेंच अंतिम फैसला करेगी.
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