यूपी में जाति देखकर एनकाउंटर? विपक्ष के आरोप के बीच 6 साल में मारे गए आरोपियों की लिस्ट देखिए

संतोष शर्मा

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‘लगता है सुल्तानपुर की डकैती में शामिल लोगों से सत्ता पक्ष का गहरा संपर्क था, इसीलिए तो नकली एनकाउंटर से पहले ‘मुख्य आरोपी’ से संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया और अन्य सपक्षीय लोगों के पैरों पर सिर्फ़ दिखावटी गोली मारी गयी और ‘जात’ देखकर जान ली गयी.’  समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया X पर ये ट्वीट 5 सितंबर सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर किया. अपने इस ट्वीट में सपा मुखिया उस एनकाउंटर को लेकर सवाल उठा रहे थे, जिसमें यूपी एसटीएफ ने मंगेश यादव का मार गिराया था.  अपने ट्वीट में अखिलेश यादव ने ‘जात देखकर जान ली गई’ लिखा और इसी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला खड़ा किया. 

सुल्तानपुर लूट कांड के आरोपी मंगेश यादव के एनकाउंटर को लेकर इस समय उत्तर प्रदेश में काफी सियासी हलचल मची हुई है. सपा सवाल उठा रही है कि योगी सरकार में फर्जी एनकाउंटर हो रहे हैं और एसटीएफ जाति देखकर फर्जी एनकाउंटर कर रही है. ये पूरा मामला जबरदस्त तरीके से चर्चाओं में बना हुआ है और यूपी में हर किसी की इस मामले पर नजर है. 

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने साफ कहा कि यूपी में जाति देखकर एनकाउंटर किया जा रहा है. सियासी तौर पर देखा जाए तो उनका इशारा पिछड़ों-दलितों और मुसलमानों के एनकाउंटर को लेकर था. उनके इस बयान को अगर डिकोड किया जाए तो सपा मुखिया अखिलेश यादव का साफ आरोप था कि मुख्यमंत्री और अधाकारियों के सजातीय अपराधियों का एनकाउंटर नहीं हो रहा है. 

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UP Tak ने साल 2017 से लेकर 2023 तक के एनकाउंटर पर रिसर्च की. जब से योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने हैं, तब से लेकर अब तक यूपी में हुए एनकाउंटर्स की लिस्ट हमारे सामने आई. इस लिस्ट में ये भी सामने आ गया कि पिछले 6 सालों में किन-किन जातियों के अपराधियों का यूपी पुलिस-एसटीएफ ने एनकाउंटर किया है? 

 

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ब्राह्मण, ठाकुर, यादव, जाट सभी अपराधियों के खिलाफ एक्शन

2017 से लेकर साल 2023 तक यूपी में 183 अपराधियों का एनकाउंटर किया गया है. ऊपर दिए गए ग्राफिक्स से साफ पता चलता है कि इन 183 अपराधियों में से ब्राह्मण और ठाकुर भी बड़ी संख्या में हैं. सबसे बड़ी संख्या मुस्लिम अपराधियों की है. इसके बाद ब्राह्मण अपराधियों का नंबर है तो तीसरे स्थान पर ठाकुर अपराधी हैं. इसके बाद जाट-गुर्जर अपराधियों का एनकाउंटर किया गया है. यादव और दलित इस लिस्ट में क्रमशः 5वें और 6ठें नंबर पर हैं. पुलिस और एसटीएफ ने 3 आदिवासी अपराधियों, 2 सिख अपराधियों और 7 पिछड़े वर्ग के अपराधियों को भी एनकाउंट में मारा है. इसी के साथ पुलिस ने 34 अन्य क्रिमिनल्स को भी मारा है.

जहां एक तरफ योगी सरकार अपराध मुक्त उत्तर प्रदेश के लिए एनकाउंटर्स को सरकार की सफलता की नजर से देखती है तो दूसरी तरफ सपा-कांग्रेस इन एनकाउंटर्स को लेकर ही योगी सरकार को घेर रहे हैं. मगर सबसे अहम है कि आखिर यूपी की जनता इन एनकाउंटर्स को कैसे देखती है.  

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एनकाउंटर्स को लेकर डीजीपी प्रशांत कुमार क्या कहते हैं?

डीजीपी प्रशांत कुमार इन एसटीएफ और पुलिस पर उठ रहे सवालों को खारिज किया है. डीजीपी कहते हैं, ‘इस तरह की चीज पुलिस नहीं करती. जब गोलियां चलती हैं और जिन लोगों ने इस तरह के हालातों का सामने किया हैं, उन्हें सब पता है. हमारे पूर्व के अधिकारियों को भी ये सब पता है. मैं इस तरह की सभी बातों का खंडन करता हूं. पुलिस पूरी तरह से निष्पक्ष होकर कार्रवाई करती है.’

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