Chhath Puja in Periods: छठ पूजा पर आ रही पीरियड्स डेट, जानें क्या दे सकते हैं सूर्यदेव को अर्घ्य

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Chhath puja 2024
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Mesuration mein Chhath Puja: छठ पर्व एक मात्र ऐसा शुभ अवसर है जहां उगते सूर्य के साथ- साथ अस्त होते हुए सूर्य की भी पूजा की जाती है. छठ पूजा सूर्य, प्रकृति, जलवायु और उनकी बहन छठी मैया को समर्पित त्योहार है.  पार्वती का छठा रूप भगवान सूर्य जी की बहन छठी मैया को त्योहार की देवी के रूप में पूजा जाता है.  त्यौहार के अनुष्ठान काफी कठोर है और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं. इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी से दूर रहना लंबे समय तक पानी में खड़ा होना और प्रसाद और अर्घ्य देना शामिल है.

पीरियड में सूर्य देव को कैसे दें अर्घ्य

Periods mein Surya Dev ko kaise de arag :छठ पूजा में सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा करते हुए शुद्धता का विशेष महत्व होता है. इस पर्व की मुख्य उपासक आम तौर पर महिलाएं होती हैं. इसलिए कई महिलाएं यह सवाल करती हैं कि अगर उनके periods के दौरान छठ पूजा आए तो क्या वे पूजा में भाग ले सकती हैं.  परंपरागत रूप से पीरियड्स के दौरान पूजा करने से परहेज किया जाता है. ऐसे में अगर आपके पीरियड शुरू हो गए या फिर डेट आसपास है तो आप अपना व्रत जारी रख सकती हैं. लेकिन पूजा की सामाग्री को छूने से बचना चाहिए. क्योंकि इस दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. इसके बदले आप परिवार के किसी दूसरे सदस्य से सूर्य देव को अर्घ्य दिला सकती हैं.  

जानिए छठ पूजा की सही डेट और मुहूर्त 

Chhath Puja Real Date and Muhurat:वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की खष्ट तिथि 6 नवम्बर को देर रात 9 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगी और सात नवम्बर को रात्रि में 9 बजकर एक मिनट पर समाप्त होगी. फिर 7 नवम्बर को संध्याकाल का अर्घ्य दिया जाएगा. इसके अगले दिन आठ नवम्बर को सुबह का अर्घ्य दिया जाएगा. 

 

 

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय खाय होता है. इस दिन व्रती गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान ध्यान के बाद सूर्यदेव की पूजा करते हैं. इसके बाद सात्विक भोजन ग्रहण करती है. भोजन में चावल, दाल और लौकी की सब्जी ग्रहण करती. पंचांग गणना के अनुसार पांच नवम्बर को नहाए खाए हैं. लोक आस्था का महापर्व के दूसरे दिन यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को खरड़ है. इस दिन व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखती हैं. संध्या काल में स्नान ध्यान कर छठी मैया के निमित्त पूजा करती हैं. पूजा के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करती है. इसके बाद निर्जला व्रत कीॉ शुरुवात होती हैं. इस वर्ष छह नवम्बर को खरना है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की खस्त तिथि यानी बता दें कि सात नवम्बर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि यानी आठ नवम्बर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.

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