आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

भाषा

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने लखीमपुर खीरी हिंसा में कथित रूप से शामिल केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत याचिका पर शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

पीठ ने आरोपी, राज्य सरकार एवं पीड़ित पक्ष की ओर से पेश तमाम दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा. यह फैसला न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने सुरक्षित रखा है.

न्‍यायालय में डेढ घंटे से ज्यादा चली सुनवाई के दौरान अभियुक्त पक्ष की ओर से कहा गया कि अभियोजन कथानक के मुताबिक थार गाड़ी में आशीष मिश्रा मौजूद था और उसी ने ड्राइवर को भीड़ पर गाड़ी चढाने के लिए उकसाया. यह भी दलील दी गई कि घटनास्थल पर इतनी भीड़ थी, पुलिस के सायरन का शोर था और अभियोजन का कोई भी गवाह थार गाड़ी में मौजूद नहीं था, ऐसे में यह कैसे विश्वास किया जा सकता है कि अभियोजन के किसी गवाह ने अभियुक्त को अपने ड्राइवर को गाड़ी चढाने के लिए उकसाते हुए सुना हो.

कहा गया कि वास्तव में घटना के वक्त आशीष मिश्रा दंगल में मौजूद था. यह भी दावा किया गया कि 197 स्थानीय लोगों ने बाकायदा शपथ पत्र देकर इस बात की पुष्टि जांच एजेंसी के समक्ष की है.

गौरतलब है कि अदालत ने 10 फरवरी 2022 के आशीष को जमानत दे दी थी, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने मंजूरशुदा जमानत खारिज करके सुनवाई वापस उच्‍च न्‍यायालय भेजकर कहा था कि पीड़ित पक्ष को सुनवायी का पूरा अवसर देकर आषीष की जमानत अर्जी पर नये सिरे से आदेश पारित किया जाये. इसी के बाद से उच्‍च न्‍यायालय मामले की नये सिरे से सुनवायी कर रहा है.

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यह भी उल्लेखनीय है कि इस बीच नौ मई को उच्‍च न्‍यायालय ने इस मामले के चार सह आरोपियों- लवकुश, अंकित दास, सुमित जायसवाल और शिशुपाल की जमानत अर्जी को यह कहकर खारिज कर दिया कि वे राजनीतिक रूप से बहुत पहुंचे हुए लोग हैं जो छूटने पर गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास करेंगे.

पिछले वर्ष तीन अक्टूबर को कृषि कानूनों के विरोध के दौरान चार किसानों की एक कार से कुचलकर मौत हो गई थी. यह घटना लखीमपुर खीरी के तिकोनिया गांव के निकट घटी थी.

आरोप है कि काफिले में शामिल कारों में से एक कार में आशीष मिश्रा बैठा था. इसके बाद हुई हिंसा में दो भाजपा कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की मौत हुई थी. एक पत्रकार भी इस हिंसा में मारा गया था.

उस दिन किसान उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आगमन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. मौर्य अजय मिश्रा के पैतृक गांव बनबीरपुर जा रहे थे.

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