योगी सरकार में विकास दुबे के बाद दुर्दांत विनय उपाध्याय का भी खात्मा, इसके कांड जान लीजिए
यूपी एसटीएफ ने माफिया और अपराधी विनोद उपाध्याय को एनकाउंट में मार गिराया है. ये यूपी की माफिया लिस्ट में शामिल था. जानिए आखिर ये था कौन?
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UP News: उत्तर प्रदेश में एक समय सियासत और अपराध का कितना मजबूत नाता रहा है, उसकी मिसाल एक बार फिर सामने आई है. दरअसल आज यानी शुक्रवार सुबह सुल्तानपुर में एसटीएफ की टीम ने 1 लाख के इनामी खूंखार अपराधी विनोद उपाध्याय का एनकाउंट कर दिया. विनोद उपाध्याय के ऊपर यूपी के कई जिलों में हत्या, अपहरण और फिरौती के मामलों में कई केस दर्ज थे. विनोद उपाध्याय का नाम योगी आदित्यनाथ सरकार ने यूपी के टॉप-61 माफियाओं की लिस्ट में शामिल किया था. मगर अब यूपी एसटीएफ ने इसे एनकाउंटर में मार गिराया है.
हैरानी की बात ये है कि अपराध की दुनिया का ये शातिर खिलाड़ी कभी सियासत में भी अपने हाथ अजमा रहा था. दरअसल विनोद उपाध्याय गोरखपुर में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहा था. दूसरी तरफ वह बड़े से बड़े अपराधों को भी अंजाम दे रहा था. ऐसे में उसने मायावती की बहुजन समाज पार्टी का हाथ थाम लिया. कुछ ही समय में उसने गोरखपुर में अपनी राजनीतिक जमीन तैयार कर ली. बीएसपी ने उसे साल 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में टिकट भी दे दिया. मगर उसे चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में कुख्यात अपराधी विनोद उपाध्याय राजनीति में आते-आते रह गया.
ऐसे रखा अपराध की दुनिया में कदम
मिली जानकारी के मुताबिक, राजकुमार उपाध्याय का पूरा परिवार गोरखनाथ थाना क्षेत्र के अंतर्गत धर्मशाला बाजार के पास रहता था. राजकुमार का सूद का कारोबार था. राजकुमार का बेटा विनोद भी अपने पिता के कारोबार में शामिल हो गया. धीरे-धीरे विनोद के दोनों भाई भी इसमें शामिल हो गए.
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इसके बाद विनोद उपाध्याय ने बेरोजगार लोगों को अपने गिरोह में शामिल कर लिया और इसने पूर्वांचल में अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी. विनोद ने अपने पिता के कारोबार से काफी पैसा कमाया. फिर इसने साल 2007 में सदर सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा. खुद बसपा चीफ मायावती भी इसके समर्थन में रैली करने गोरखपुर आईं. मगर विनोद भाजपा प्रत्याशी के सामने चुनाव हार गया. इसके बाद विनोद उपाध्याय अपराध की दुनिया में आगे बढ़ता चला गया.
विनोद का निशाना था काफी सटीक
बता दें कि विनोद उपाध्याय का निशाना काफी सटीक था. ऐसे में उसे दबोचना इतना आसान नहीं था. ऐसे में विनोद उपाध्याय को एनकाउंट में मार गिराकर यूपी एसटीएफ इसे अपनी बड़ी सफलता मान रही है.
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विनोद के ऊपर 3 दर्जन से भी ज्यादा आपराधिक केस दर्ज थे. एक समय गोरखपुर में माफिया विनोद उपाध्याय और उसके गुर्गों का आतंक लोगों के सिर चढ़कर बोलता था. वह लोगों को डरा-धमकाकर उनकी जमीन हड़प लेता था. इसके ऊपर कई हत्याओं के मामले भी दर्ज हैं.
यूं मारा गया
अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक, सुल्तानपुर जिले के देहात कोतवाली क्षेत्र में एसटीएफ और विनोद उपाध्याय का आमना-सामना हो गया. दोनों तरफ से जबरदस्त गोलीबारी हुई. इसी बीच विनोद ने भागने की कोशिश की. तभी गोली इसे जा लगी और ये घायल हो गया. एसटीएफ की टीम विनोद को फौरन अस्पताल लेकर गई. मगर वहां डॉक्टरों ने इसे मृत घोषित कर दिया.
विनोद उपाध्याय अयोध्या जिले के मयाबाजार का रहने वाला था. लेकिन उसने अपने अपराध की दुनिया गोरखपुर क्षेत्र में बनाई थी. गोरखपुर के गुलरिहा थानाक्षेत्र के मुगलहा में ये अपराधी सरकारी जमीन पर कब्जा करके वहां मकान भी बना रहा था. कुल मिलाकर इसके खिलाफ 35 केस दर्ज थे.
भाई के खिलाफ भी है इनाम घोषित
बता दें कि विनोद के भाई का नाम संजय उपाध्याय है. दोनों भाइयों के खिलाफ इनाम घोषित है. जहां विनोद के नाम पर 1 लाख का इनाम घोषित था तो वही इसके भाई के नाम पर 25 हजार का इनाम घोषित है. पुलिस को विनोद उपाध्याय के भाई की भी तलाश है.
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हो चुका है बुलडोजर एक्शन
बता दें कि अपराधी और माफिया विनोद उपाध्याय के खिलाफ बुलडोजर एक्शन की कार्रवाई भी हो चुकी है. साल 2023 में पुलिस ने विनोद उपाध्याय और उसके भाई संजय के आलीशान घर पर बुलडोजर कार्रवाई कर उसे धवस्त कर दिया था. बता दें कि विनोद और उसके भाई संजय ने गुलरिहा के मुगलहा में सरकारी जमीन पर कब्जा किया था और वहां आलीशान घर का निर्माण किया था. मगर इसके खिलाफ प्रदेश की योगी सरकार ने सख्त एक्शन लिया था.
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