गवाह पलट गए थे पर एक वॉट्सऐप मैसेज ने पलट दिया धनंजय सिंह का पूरा खेल! आखिर क्या था उसमें?
वॉट्सऐप पर भेजा गया एक मैसेज क्या किसी बाहुबली को सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है? जी हां, जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह को नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर को धमकाने के जिस मामले में सजा सुनाई गई है...
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Dhananjay Singh News: वॉट्सऐप पर भेजा गया एक मैसेज क्या किसी बाहुबली को सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है? जी हां, जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह को नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर को धमकाने के जिस मामले में सजा सुनाई गई है, उस मामले का वादी मुकदमा, गवाह सब पलट गए थे. मगर उसके बावजूद घटना के वक्त भेजा गया एक मैसेज पुलिस की विवेचना का ऐसा अहम सबूत बना और जांच के बाद दाखिल हुई चार्जशीट का नतीजा था कि बीते 33 सालों से कानून से आंख मिचौली खेल रहे धनंजय सिंह को 7 साल की सजा सुनाई गई और उन्हें सलाखों के पीछे जाना पड़ा.
पहली बार हुई है धनंजय सिंह को सजा
33 सालों में यूपी पुलिस का दो बार 50000 का इनामी, जिस पर कभी 43 मुकदमे दर्ज थे, जिसके नाम के आगे बाहुबली विशेषण के तौर पर जोड़ा जाता रहा हो, वह धनंजय सिंह कानून से आंख मिचौली खेलते हुए पहली बार सजा पाकर सलाखों के पीछे हैं. आज धनंजय सिंह पर सिर्फ 9 केस बाकी हैं, जो जौनपुर और लखनऊ की अदालत में विचाराधीन हैं. हत्या, हत्या का प्रयास, जान से मारने की धमकी जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज होने के बावजूद धनंजय सिंह को कभी सजा नहीं हो पाई. मगर इस बार मामला फंस गया.
किस मामले में हुई धनंजय सिंह को सजा?
10 मई 2020 को जौनपुर के लाइन बाजार थाने में नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने अपहरण-रंगदारी जैसी गंभीर धाराओं मे धनंजय सिंह, विक्रम सिंह समेत दो अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई. इंस्पेक्टर लाइन बाजार को अंग्रेजी में दी गई तहरीर में अभिनव सिंघल ने आरोप लगाया कि बीते कुछ दिनों से उनके पास विक्रम सिंह के मोबाइल नंबर से धनंजय सिंह से मिलने के लिए कॉल आ रही थी. धनंजय सिंह से उन्होंने तब होली से पहले मुलाकात भी की, लेकिन 4 मई से विक्रम सिंह फिर फोन करने लगे. इसके बाद 10 मई 2020 को विक्रम सिंह दो अन्य साथियों के साथ साइट पर आए और धनंजय सिंह के घर ले गए. जहां धनंजय सिंह ने पिस्तौल दिखाकर डराया धमकाया, और जान से मारने की धमकी दी.
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अभिनव सिंघल की इस लिखित शिकायत के बाद धनंजय सिंह पर तत्कालीन इन्स्पेक्टर लाइन बाजार दिनेश प्रकाश शुक्ला ने एफआईआर दर्ज की और अगले ही दिन धनंजय सिंह उनके साथी विक्रम सिंह को गिरफ्तार भी कर लिया गया. धनंजय सिंह को जमानत मिली. पहली जांच चौकी प्रभारी चौकिया धाम सब इंस्पेक्टर कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने की, लेकिन पुलिस जब बयान लेने के लिए अभिनव सिंघल के पास गई तो वो अपने ही बयान से पलट गए और कहने लगे उनके साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ.
सीओ ने दिया ये आदेश
इसके बाद कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने वादी मुकदमा के मुकरने और ऐसी कोई घटना नहीं होने के आधार पर फाइनल रिपोर्ट लगा दी. लेकिन तत्कालीन सीओ सिटी ने फाइनल रिपोर्ट पर आपत्ति लगाकर वादी मुकदमा की कॉल डिटेल, मोबाइल लोकेशन और आरोपियों की कॉल डिटेल, मोबाइल लोकेशन, घटनास्थल के सीसीटीवी को जांच में शामिल करने के निर्देश के साथ अग्रिम विवेचना का आदेश दे दिया. अग्रिम विवेचना इंस्पेक्टर लाइन बाजार को दी गई.
अभिनव ने किया था ये मैसेज
पुलिस ने दोबारा जांच शुरू की तो पता चला अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को शाम 5.43pm अपनी कंपनी SPML Pulkit projects Pvt Ltd के सुपरवाइजर हरेंद्र पाल के मोबाइल पर एक वॉट्सऐप मैसेज भेजा था, जिसमें उन्होंने लिखा था- 'धनंजय सिंह के आदमी मुझे उनके घर पर लेकर आए हैं...पुलकित सर को तुरंत बता दीजिए." सुपरवाइजर हरेंद्र पाल के नंबर पर यह मैसेज आया तो उन्होंने एमडी मोहनलाल सिंघल के बेटे पुलकित सिंघल को पूरी घटना फोन पर भी बताई.
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बाद में अभिनव ने ये कहा
अभिनव सिंघल अपने बयान से मुकर गए. उनका कहना था कि उनके पास गाड़ी नहीं थी, इसलिए धनंजय सिंह ने अपनी गाड़ी भेज कर उन्हें बुलाया था. उनके साथ कोई मारपीट या धमकी जैसी बात नहीं हुई. लेकिन पुलिस को अभिनव सिंघल के जब्त किए फोन से यह मैसेज मिला. पुलिस ने इस मामले में अभिनव सिंघल के फोन की साइबर एक्सपर्ट से जांच करवाई. रिपोर्ट हासिल की. कॉल डिटेल और मोबाइल लोकेशन से इस बात की पुष्टि हुई कि अभिनव सिंघल ने उसी वक्त यह मैसेज हरेंद्र पाल को भेजा जब उन्हें धनंजय सिंह के घर ले जाया गया. आरोपी संतोष विक्रम सिंह के मोबाइल के कॉल डिटेल और लोकेशन से भी इस बात की पुष्टि हुई कि वह लगातार अभिनव सिंघल को कॉल कर रहा था. धनंजय सिंह के घर वही लेकर गया था.
पुलिस को अभिनव सिंहल के मोबाइल से 3 मिनट 28 सेकंड की वह ऑडियो क्लिप भी मिली जिसमें वह अपने एमडी मोहनलाल सिंघल को धनंजय सिंह के लोगों के द्वारा दी जा रही धमकी की जानकारी दे रहे थे.
अभिनव सिंघल बयान से मुकर गए और उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई तहरीर थाने पर दी ही नहीं. फिर पुलिस ने अभिनव सिंघल की दी हुई तहरीर का हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से मिलान करवाया और उस समय थाने पर मौजूद हेड मोहरिर अनिल कुमार यादव को गवाह बनाया, जिन्होंने कहा कि 'अभिनव सिंघल ने अपने हाथ से लिखी हुई तहरीर मुझे दी थी.'
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पुलिस ने किया ये काम
अभिनव सिंघल ने धनंजय सिंह के खिलाफ तहरीर देने के बाद बार-बार धमकी मिलने और सुरक्षित घर पहुंचने के लिए पुलिस को प्रार्थना पत्र दिया. इसके बाद पुलिस ने अभिनव सिंघल को मुजफ्फरनगर स्थित घर पर पुलिस की सुरक्षा में सुरक्षित घर भी पहुंचाया. इसके बाद पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा कि वादी को केस को लगातार धमकाया जा रहा है, जिसकी वजह से वह बयान से पलट गया.
कॉल डिटेल की जांच में पुलिस को ये मिला
पुलिस ने कॉल डिटेल की जांच की तो पता चला कि संतोष विक्रम सिंह के मोबाइल से 18 जनवरी 2020 से 10 मई 2020 के बीच अभिनव सिंघल को 20 बार कॉल किए गए और घटना वाले दिन 10 मई 2020 को धनंजय सिंह ने अभिनव सिंघल की कंपनी के एमडी मोहनलाल सिंघल से व्हाट्सएप कॉल पर बात भी की थी.
अभिनव सिंघल के बयान से मुकरने के बावजूद पुलिस ने उनके और संतोष विक्रम सिंह के बीच हुई कॉल डिटेल, कॉल लोकेशन और फिर धनंजय सिंह के घर की लोकेशन पर सिंघल की मौजूदगी और धनंजय सिंह के द्वारा कंपनी के एमडी को की गई कॉल को आधार बनाया. इसके बाद पुलिस ने धनंजय सिंह और संतोष विक्रम सिंह को अपनी चार्जशीट में अपहरण और रंगदारी के लिए धमकाने के मामले में अभियुक्त बनाया.
पुलिस ने फिर धनंजय सिंह के घर से एक फॉर्च्यूनर कार बरामद की. जांच की गई तो यह फॉर्चूनर आजमगढ़ के तरवा थाना क्षेत्र के रहने वाले विनोद कुमार सिंह की निकली. विनोद कुमार सिंह ने बयान दिया कि उसकी फॉर्च्यूनर नामजद आरोपी संतोष सिंह ले गया था. उस वक्त वह खुद धनंजय सिंह के घर पर था.
कोर्ट में ट्रायल के दौरान अभिनव सिंघल और सुपरवाइजर हरेंद्र पाल के अपने मूल बयान से पलटने के बावजूद बहस के दौरान माना कि संतोष विक्रम, अभिनव सिंघल को पचैतिया साइट से अपनी फॉर्च्यूनर से धनंजय सिंह के घर ले गया था और फिर वापस छोड़ा था. इतना ही नहीं अभिनव सिंघल, आरोपी संतोष विक्रम सिंह की धनंजय सिंह के घर पर मौजूदगी, सत्य प्रकाश यादव और फॉर्च्यूनर मलिक विनोद कुमार सिंह के बयान से यह साफ हुआ कि यह सभी लोग घटना वाले दिन और एक साथ एक जगह पर मौजूद थे. कोर्ट ने माना कि गवाह पूरी तरह से पक्ष द्रोही नहीं हुए हैं. पुलिस द्वारा कोर्ट में दाखिल की गई कॉल डिटेल, मोबाइल लोकेशन व अन्य सबूत के आधार पर जौनपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने धनंजय सिंह, उनके साथी संतोष विक्रम सिंह को 7-7 साल की सजा सुनाई.
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