लोकसभा चुनावों में यूपी में मिली करारी शिकस्त के बाद अब अंदरखाने ये कर रही बसपा चीफ मायावती
UP News: लोकसभा चुनावों में मायावती की बहुजन समाज पार्टी को करारा झटका लगा है. बसपा को यूपी की सभी 80 की 80 लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में अब बसपा के अंदरखाने हलचल तेज हो गई है. जानिए
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![लोकसभा चुनावों में यूपी में मिली करारी शिकस्त के बाद अब अंदरखाने ये कर रही बसपा चीफ मायावती Mayawati](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/uptak/images/story/202406/6661756378f63-mayawati--bsp--bsp-mayawati--mayawati-news--bsp-news--up-lok-sabha-chunav--up-lok-sabha-chunav-2024-063754438-16x9.jpg?size=948:533)
UP News: लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद बहुजन समाज पार्टी एक्शन मोड में आ गई है. बसपा चीफ मायावती ने इस करारी हार की समीक्षा की है. बता दें कि लोकसभा चुनाव में बसपा ने किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया था और बसपा अपने दम पर ही चुनाव लड़ी थी. मगर जनता ने उसे पूरी तरह से नकार दिया और बसपा को एक भी सीट हाथ नहीं लगी. यहां तक की बसपा के उम्मीदवार मतगणना के दौरान रेस में भी कही नजर नहीं आए.
लोकसभा चुनावों में मिली इस करारी शिकस्त के बाद अब बसपा के अंदर खाने हलचल तेज हो गई है. मिली जानकारी के मुताबिक, खुद बसपा चीफ मायावती ने हार की समीक्षा की है और एक रिपोर्ट भी तैयार की है.
बसपा एक्शन लेने के लिए तैयार
बताया जा रहा है कि बसपा पार्टी के कई अधिकारियों के खिलाफ एक्शन भी ले सकती है. कोर्डिनेटर से लेकर जिला स्तर के अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होनी है और उसके बाद कार्रवाई की जाएगी.
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हार की मुख्य वजह ये सामने आई
मिली जानकारी के मुताबिक, बसपा के अंदरखाने और समीक्षा रिपोर्ट में पार्टी की इस करारी हार की मुख्य वजह जिला-अध्यक्षों का सक्रिय नहीं रहना, माना जा रहा है. ऐसे में महासचिवों से रिपोर्ट तलब की जा रही है.
दूसरे दलों के उम्मीदवारों का प्रचार कर रहे थे जिलाध्यक्ष
बहुजन समाज पार्टी की चीफ़ मायावती ने समीक्षा बैठक में रिपोर्ट में यह पाया गया है कि कई जिलाध्यक्ष पार्टी के उम्मीदवार को न जिताकर दूसरे दलों के प्रत्याशियों के प्रचार-प्रसार में लगे हुए थे. यहां तक की ऑर्डिनेटर भी अपनी ज़िम्मेदारी सही से नहीं निभा रहे थे.
रिपोर्ट में ये भी सामने आय़ा है कि बसपा के जिलाध्यक्ष दलितों का वोट बैंक भी दूसरी पार्टियों में ले गए और पार्टी के खिलाफ काम किया, जिससे पार्टी का दलित वर्ग का वोट भी खिसक गया.
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