अयोध्या में जो मस्जिद बननी है उसका काम ही नहीं शुरू हो पा रहा! वजह और पेंच जान लीजिए

यूपी तक

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Ayodhya mosque Land
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UP News: 9 नवंबर 2019 के दिन अयोध्या मंदिर-मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया. इसी फैसले के साथ विवादित भूमि पर भगवान श्रीराम का भव्य और दिव्य मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद पक्ष को भी मस्जिद का निर्माण करने के लिए 5 एकड़ जमीन दी. अयोध्या के धन्नीपुर में मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के निर्माण के लिए जमीन मिली. 

अब साल 2024 चल रहा है. अयोध्या में दिव्य और भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो गया है. देश-विदेश से रामभक्त अयोध्या में भगवान श्रीराम के दर्शन करने अयोध्या आ रहे हैं. अयोध्या राम मंदिर को लेकर चर्चाओं में बना रहता है. मगर अयोध्या के धन्नीपुर में बनने जा रही मस्जिद का काम अभी तक शुरू ही नहीं हुआ है. अभी तक मस्जिद का नक्शा तक पास नहीं हो पाया है. 

आखिर कहां फंसा है मस्जिद के निर्माण का मामला?

शुरू में दावा किया गया कि मस्जिद का निर्माण ताजमहल से भी अच्छा किया जाएगा. ये मस्जिद ताजमहल को भी पीछे छोड़ देगी. मगर शुरू से ही मस्जिद के निर्माण की प्रक्रिया में परेशानी आती गईं. शुरू में बताया गया कि यह नई मस्जिद भारत में सबसे बड़ी होगी. मस्जिद परिसर में भगवा रंग में दुनिया की सबसे बड़ी कुरान रखी जाएगी, जिसकी ऊंचाई 21 फीट और चौड़ाई 36 फीट होगी. बताया ये भी गया कि मस्जिद में पहली नमाज मक्का के इमाम-ए-हरम अब्दुल रहमान ऐ-सुदैस अदा करेंगे. मगर अभी तक मस्जिद का निर्माण कार्य ही शुरू नहीं हो पाया है.

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दरअसल धन्नीपुर मस्जिद के निर्माण कार्य की देखरेख करने के लिए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने ‘इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन’ (आईआईसीएफ) गठित की थी. कमेटी ने  मस्जिद के विकास के लिए 4 समितियों का गठन किया था. मगर अब ये चारों समितियां भंग कर दी गई हैं. मस्जिद निर्माण की परियोजना धन की कमी से प्रभावित हो रही है. अब मस्जिद निर्माण के लिए बनी समिति मस्जिद निर्माण की परियोजना के लिए धन जुटाने में तेजी लाने की कोशिश कर रही है और इसके लिए रास्ते तलाश कर रही है.

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ये बोले

इस पूरे मामले को लेकर आईआईसीएफ के मुख्य न्यासी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी ने कहा, आईआईसीएफ ने बैठक का आयोजन किया था. इस बैठक में समितियों को भंग करने का फैसला लिया गया.

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जुफर फारुकी ने आगे बताया, अब सारा ध्यान विदेशी अंशदान (नियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के तहत आवश्यक मंजूरियां हासिल करने की प्रक्रिया तेज करने पर है, जिसके बाद ट्रस्ट विदेशों से चंदा प्राप्त करने में समर्थ होगा. पिछले 4 सालों में सिर्फ 1 करोड़ का ही फंड जुटाया गया है. ये बहुत शर्मिंदा करने वाली बात है.

आईआईसीएफ के सचिव अतर हुसैन ने बताया, ट्रस्ट ने इस संबंध में सभी जरूरी ब्यौरे केंद्र को मार्च में उपलब्ध करा दिए हैं और अब पूरा ध्यान आवश्यक मंजूरियां हासिल कर मस्जिद निर्माण परियोजना में तेजी लाने पर है. जिन समितियों को भंग किया गया है, उनमें प्रशासनिक समिति, वित्त समिति, विकास समिति-मस्जिद मोहम्मद बिन अब्दुल्ला और मीडिया एवं प्रचार समिति शामिल हैं. 

40 हजार वर्ग फुट में होना है मस्जिद का निर्माण

इससे पहले मस्जिद के निर्माण के लिए बनी इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट ने बताया था कि मस्जिद 40 हजार वर्ग फुट की होगी. इस दौरान ये भी बताया गया था कि मस्जिद के साथ-साथ वहां अस्पताल, पुस्तकालय और सामुदायिक रसोई का भी निर्माण किया जाएगा. फिलहाल अभी तक मस्जिद के निर्माण का काम शुरू नहीं हो पाया है.

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