SC के आदेश के बाद लखनऊ में B.Ed अभ्यर्थियों का गुस्सा फूटा, इनकी जुबानी सुनिए पूरा दर्द

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हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बीएड (B’ED) – बीएसटीसी (BTS) विवाद पर एक अहम और बड़ा आदेश दिया.  सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को सही मानते हुए प्राथमिक शिक्षक भर्ती में बीटीसी अभ्यर्थियों को पात्र माना तो वहीं बीएड (B.ed) को प्राइमरी शिक्षक भर्ती से बाहर का रास्ता दिखा दिया. अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि लेवल-वन के लिए बीएसटीसी और बीटीसी अभ्यर्थी ही पात्र हैं. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने बीएड को उच्च शिक्षा के योग्य माना है. बता दें कि अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ यूपी समेत देशभर में बीएड अभ्यार्थी घरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. 

मिली जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर देशभर के करीब 1 करोड़ बीएड अभ्यार्थी पर पड़ेगा, जिसमें यूपी से भी लाखों की संख्या में बीएड अभ्यार्थी शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बीएड अभ्यर्थियों ने राजधानी लखनऊ के SCERT कार्यालय पर जोरदार धरना प्रदर्शन किया है. इस दौरान अभ्यर्थियों ने केंद्र की मोदी सरकार से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ अध्यादेश लाने की मांग की.

बीएड अभ्यर्थियों ने की सरकार से ये मांग

बीएड अभ्यर्थियों ने केंद्र की मोदी सरकार से मांग करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार अध्यादेश लाए, जिससे सभी बीएड अभ्यर्थियों का हित हो सके. धरना प्रदर्शन कर अभ्यर्थियों की सरकार से मांग है कि भारत में लगभग एक करोड़ के आसपास बीएड अभ्यार्थी है. ऐसे में सरकार कोई अध्यादेश लाए, जिससे इन छात्रों का भी भविष्य उज्जवल हो सके.

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बीएड अभ्यर्थियों का कहना है कि उनकी ज्यादा योग्यताएं ही उनके लिए अभिशाप बन गई हैं. उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उनके 4 से 5 साल बेकार हो गए हैं.

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प्राथमिक वर्ग की शिक्षा के लिए BSTC पात्र- SC

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने ये आदेश दिए थे. आदेश के मुताबिक, कोर्ट ने प्राथमिक वर्ग की शिक्षा के लिए बीएड योग्यता धारियों को अपात्र माना था. सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिक वर्ग की शिक्षा के लिए केवल BSTC को ही पात्र माना था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 30 मई 2018 के नोटिफिकेशन को भी रद्द कर दिया था.

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