‘वहां मंदिर बने जहां कृष्ण-बलराम खेलते थे’, जानें वृंदावन में इस्कॉन Temple बनने की पूरी कहानी
अगर हम आपसे कहें कि उन मंदिरों का नाम बताइये, जहां भारतीयों से ज्यादा विदेशी लोग दिखे, तो आपके मन में सिर्फ एक ही नाम…
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अगर हम आपसे कहें कि उन मंदिरों का नाम बताइये, जहां भारतीयों से ज्यादा विदेशी लोग दिखे, तो आपके मन में सिर्फ एक ही नाम आएगा. वह नाम होगा इस्कॉन मंदिरों का. इस्कॉन मंदिरों में भारतीय तो श्याम के रंग में रगे हुए होते ही हैं. मगर इन मंदिरों में भारी संख्या में विदेशी भी भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लील नजर आते हैं. आज इस्कॉन मंदिर भारत समेत पूरे विश्व में फैले हुए हैं और इन मंदिरों से साथ देश-विदेश के करोड़ों लोग जुड़े हुए हैं.
एक ऐसा ही इस्कॉन मंदिर ब्रज भूमि वृंदावन में भी है. दरअसल हर कृष्ण प्रेमी के लिए मथुरा-वृंदावन का अपना ही महत्व है. माना जाता है कि श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में ही हुआ था और उनका बचपन ब्रज भूमि में ही बीता था. वृंदावन में भी इस्कॉन का भव्य और दिव्य मंदिर है. दरअसल वृंदावन का इस्कॉन मंदिर खुद में काफी खास है. ये खास क्यों है, आइये हम आपको नीचे बताते हैं.
‘वहां मंदिर बने जहां सदियों पहले कृष्ण-बलराम खेला करते थे’
आपको बता दें कि इस्कॉन यानी अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ की स्थापना स्वामी प्रभुपाद ने की थी. माना जाता है कि प्रभुपाद का एक सपना था कि एक भव्य इस्कॉन मंदिर का निर्माण वहां भी करवाया जाए, जहां बाल रूप में भगवान श्रीकृष्ण और उनके भाई बलराम खेला करते थे.
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स्वामी प्रभुपाद का सपना था कि भगवान कृष्ण और उनके भाई बलराम का भी एक मंदिर वहां बनना चाहिए, जहां दोनों खेला करते थे और अपनी गाय चराते थे. बता दें कि स्वामी प्रभुपाद का ये सपना साल 1975 में पूरा हुआ. इस साल वृंदावन में इस्कॉन मंदिर की स्थापना की गई. इस मंदिर का नाम श्रीकृष्ण बलराम मंदिर रखा गया.
भव्य है वृंदावन का इस्कॉन मंदिर
आपको बता दें कि वृंदावन का इस्कॉन मंदिर इस्कॉन का वैसे तो एक आम मंदिर है, जैसे इस्कॉन के अन्य शहरों में बने मंदिर हैं. मगर ये इतना भव्य और दिव्य है कि यहां आकर भक्त मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. यहां हर तरफ श्रीकृष्ण-श्रीकृष्ण के जाप चल रहे होते हैं. यहां हर तरफ भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का रस बह रहा होता है. भक्त श्रीकृष्ण के जापों पर नाच रहे होते हैं. दरअसल ये मंदिर ब्रज भूमि पर बना हुआ है और माना जाता है कि ये भूमि खुद कृष्णमय है.
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विदेशों से भी भारी संख्या में आते हैं लोग
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस्कॉन से विदेशी भी भारी संख्या में जुड़े हुए हैं और भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हैं. वृंदावन के इस्कॉन मंदिर में आपको भारी संख्या में विदेशी टीका लगाए और हाथ में माला लिए दिख जाएंगे. इस मंदिर में आपको कई विदेशी अपने बच्चों के साथ भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन होकर नाचते और गाते हुए दिख जाएंगे.
माना जाता है कि वृंदावन के इस्कॉन मंदिर में भगवान की कृपा है क्योंकि ये मंदिर उस बृज की धरती पर बना है जहां खुद भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था. इस मंदिर में हर साल लाखों-करोड़ों लोग दर्शन के लिए आते हैं और ये मंदिर मथुरा-वृंदावन आने वाले भक्तों के लिए बड़े आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
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