कौशांबी: जिला पंचायत की ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया 20 करोड़ ‘घोटाला’, जानिए विस्तार से

अखिलेश कुमार

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kaushambi News: कौशांबी जिला पंचायत ऑफिस में 20 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई है. आपको बता दें कि घोटाले का खुलासा ऑडिट होने के बाद पेश की गई रिपोर्ट के आधार पर हुआ है. ऑडिट टीम ने वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2020-21 तक घोटाले एक-एक रिपोर्ट तैयार की. वहीं, टीम ने 20 करोड़ रुपये के भुगतान पर आपत्तियां भी दर्ज कराई हैं. इतना ही नहीं घोटाले का जिम्मेदार जिला पंचायत के अफसरों को बताया गया है. ऑडिट टीम ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी है. अब यह देखना होगा कि घोटालेबाज जिला पंचायत के अफसरों के खिलाफ शासन क्या कार्रवाई करेगा?

विस्तार से जानिए पूरा मामला

आरोप है कि वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2020-21 तक अफसरों ने सरकारी धन का दुरुपयोग किया है. मिली जानकारी के अनुसार, कागज पर ही प्रस्ताव बना लिया जाता था और कागज पर ही काम करवा कर रकम निकाल ली जाती थी. जिले में कई स्थानों पर बालू परिवहन शुल्क के लिए बैरियर लगाए गए हैं. आरोप है कि बैरियर शुल्क के नाम पर जमकर वसूली की गई, लेकिन बैरियर शुल्क सरकारी कोष में नहीं जमा किया गया. ऑडिट टीम ने इस पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है. इतना ही नहीं बैरियर का ठेका कितने का था, वसूली का लक्ष्य क्या था, इसका कहीं कोई जिक्र ही नहीं किया गया था.

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना का प्रकोप था. जिला पंचायत के अधिकारियों ने इसका भरपूर फायदा उठाया. आरोप है कि राजस्व वसूली में भी खिलवाड़ किया गया, तहबाजारी से लेकर अन्य प्रकार से होने वाले राजस्व आय में गड़बड़ी की गई और सरकारी कोष में रुपया नहीं जमा किया गया. आपत्तियों पर मांगी रिपोर्ट जिला लेखा परीक्षा अधिकारी सहकारी समितियां एवं पंचायत ने अपर मुख्य अधिकारी को वर्ष 2017-18 से लेकर वर्ष 2020-21 तक ऑडिट आपत्ति भेज दी है. साथ ही उनसे आपित्तयों के अनुपालन की आख्या रिपोर्ट मांगी है.

ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2017-18 में 58 लाख 80 हजार रुपए का अनियमित भुगतान किया गया. वर्ष 2018-19 में एक करोड़ 14 लाख 56 हजार रुपए का बड़ा खेल किया गया. इसी तरह वर्ष 2019-20 में आठ करोड़ चार लाख रुपए का अनियमित भुगतान किया है. आरोप है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अफसरों ने सबसे ज्यादा 10 करोड़ रुपए की धांधली की है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में 10 करोड़ 72 लाख, 39 हजार रुपए का अनियमित भुगतान कर खिलवाड़ किया है.

ऑडिट रिपोर्ट यह भी बता रही है कि अफसरों ने बिना काम कराए ही भुगतान किया था. जमीन पर कहीं काम ही नहीं दिख रहा है. सबकुछ कागज में किया गया था. ऑडिट टीम ने इसकी जांच की तो सारी सच्चाई खुलकर सामने आ गई. अफसर ऑडिट टीम को कराए गए कार्य का ब्योरा ही नहीं दे पाए. ऑडिट टीम ने तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी समेत सात अफसरों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है. किस अधिकारी ने कितनी रकम की गड़बड़ी की है, इसकी टिप्पणी भी अलग से कर उन्हें उत्तरदायी बताया है. यह रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है. मगर एक सवाल अभी बना हुआ आखिर ऐसे भ्रष्टाचारियों अधिकारियों कब कार्यवाही होती है या फिर नहीं.

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