आगरा जेल रेडियो को आज हुए चार साल, तिनका तिनका फाउंडेशन ने की थी इसकी स्थापना
Agra Jail Radio: 1741 में मुगलों के जमाने में बनी जिला जेल आगरा में स्थापित रेडियो बंदियों की जिंदगी का सहारा बन गया है. आपको…
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Agra Jail Radio: 1741 में मुगलों के जमाने में बनी जिला जेल आगरा में स्थापित रेडियो बंदियों की जिंदगी का सहारा बन गया है. आपको बता दें कि आज से ठीक चार साल पहले 31 जुलाई को इस रेडियो का शुभारंभ तत्कालीन एसएसपी बबलू कुमार, जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा और तिनका तिनका फाउंडेशन संस्थापिका वर्तिका नन्दा ने किया था. जेल रेडियो की परिकल्पना और उसका प्रशिक्षण वर्तिका नन्दा ने करवाया था. उस समय आईआईएम बेंगलुरु से स्नातक महिला बंदी तुहिना और स्नातकोत्तर पुरुष बंदी उदय को रेडियो जॉकी बनाया गया था. बाद में एक और बंदी रजत इसके साथ जुड़ा. तुहिना उत्तर प्रदेश की जेलों की पहली महिला रेडियो जॉकी की जेल बनी. रेडियो के लिए स्क्रिप्ट बंदी ही तैयार करते हैं.
खूब चर्चा में है आगरा जेल रेडियो
आगरा जिला जेल का रेडियो अब काफी चर्चा में है और अपनी निरंतरता से उसने जेल को मानवीय बनाने में मदद की है. अब प्रदेश की पांच सेंट्रल जेल और कम से कम 20 जिला जेलों में रेडियो शुरु किए जा चुके हैं.
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अब तैयार होगी नई खेप
जिला जेल आगरा के नए अधीक्षक हरिओम शर्मा के नेतृत्व में इस जेल में अब बंदियों का चयन होगा और उन्हें रेडियो जॉकी की ट्रेनिंग दी जाएगी. ट्रेनिंग का काम तिनका तिनका फाउंडेशन करेगी. इस काम की अगस्त में शुरू होने की संभावना है.
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कोरोना में जेल रेडियो ने बयाना बंदियों का मनोबल
जिला जेल आगरा का यह जेल रेडियो उत्तर प्रदेश की बाकी जेलों में रेडियो को लेकर एक नींव बना है. कोरोना के दौरान जेल रेडियो ने बंदियों के मनोबल को बनाया था. इसी रेडियो के जरिए जेल में महत्वपूरण सूचनाएं बंदियों तक पहुंचाई गईं. मुलाकातें बंद होने पर यही उनके संवाद का सबसे बड़ा जरिया बना. इसकी मदद से बंदियों को कोरोना के प्रति जागरुक किया गया था. अब वह इसके जरिए अपनी पसंद के गाने सुन पाते हैं. अपनी हिस्सेदारी को लेकर उनमें खूब रोमांच रहता है. महिला बंदियों को कजरी गीत गाने में विशेष आनंद आता है. रेडियो की पंच लाइन ‘कुछ खास है हम सभी में’ ने सबमें प्रेरणा का संचार किया है.
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इस दौरान वर्तिका नन्दा ने उतर प्रदेश की जेलों पर एक विशेष शोध किया जो कि भारतीय जेलों में महिलाओं और बच्चों की संचार की जरूरतों पर आधारित था. 2020 में ICSSR के लिए किए गए उनके इस शोध को उत्कृष्ट माना गया है और अब यह एक पुस्तक के रूप में सामने आ रहा है. इस शोध के केंद्र में जिला जेल आगरा थी.
कौन हैं डॉ. वर्तिका नन्दा?
आपको बता दें कि डॉ. वर्तिका नन्दा भारत की स्थापित जेल सुधारक, मीडिया शिक्षक और लेखिका हैं. 2014 में भारत के राष्ट्रपति से स्त्री शक्ति पुरस्कार से सम्मानित. उन्हें यह पुरस्कार मीडिया और साहित्य के जरिए महिला अपराधों के प्रति जागरूकता लाने के लिए दिया गया. हरियाणा और उत्तराखंड की जेलों में रेडियो लाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है. 2019 में तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड की थीम भी जेल में रेडियो ही थी और इसका समारोह जिला जेल लखनऊ में आयोजित किया गया था.
वर्तिका नन्दा की इन तीन किताबों की खूब होती है चर्चा
जेलों पर लिखी वर्तिका नन्दा की तीन किताबें- तिनका तिनका तिहाड़, तिनका तिनका डासना और तिनका तिनका मध्य प्रदेश- जेल-जीवन पर प्रामाणिक दस्तावेज मानी जाती हैं. तिनका तिनका डासना- उत्तर प्रदेश की जेलों पर एक विस्तृत रिपोर्टिंग के तौर पर सामने आई थी. 2018 में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमबी लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने जेलों में महिलाओं और बच्चों की स्थिति की आकलन प्रक्रिया में शामिल किया.
जेल के अनूठे प्रयोगों के लिए जानी जाती हैं वर्तिका
डॉ. वर्तिका नन्दा अपराध पत्रकारिता को लेकर लीक से हटकर काम करती हैं और जेल के अनूठे प्रयोगों के लिए जानी जाती हैं. तिनका तिनका भारतीय जेलों पर वर्तिका की एक अनूठी श्रृंखला. जेलों का उनका काम दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल हुआ.
तिनका तिनका बनाता है जेल आधारित पॉडकास्ट
नन्दा द्वारा स्थापित तिनका तिनका फाउंडेशन ने देश की जेलों पर पहले और इकलौते पॉडकास्ट-तिनका तिनका जेल रेडियो की शुरुआत की है. इन्हें यूट्यूब पर तिनका तिनका जेल रेडियो के नाम से प्रसारित किया जाता है. फिलहाल डॉ. नन्दा दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज में पत्रकारिता विभाग की प्रमुख हैं.
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