काशी विश्वनाथ का प्रसाद बनाने का काम अमूल को दिया, लोकल वेंडर बेला पापड़ की महिलाएं बोलीं- रोजी छीन ली

रोशन जायसवाल

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UP News: वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के महाप्रसाद को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है. दरअसल तिरुपति प्रसाद में मिलावट विवाद को देखते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया और अमूल के साथ महाप्रसाद बनाने का समझौता कर लिया. इस दौरान महाप्रसाद भी बदल दिया गया और पुराने वेंडर्स (जो लोग पहले महाप्रसाद बना रहे थे) को हटा दिया गया. इससे महाप्रसाद की कीमत में भी थोड़ा इजाफा हो गया. अब मंदिर प्रशासन के इस फैसले से प्रसाद बनाने वाले वेंडर खासा नाराज हैं. वह इसे अपने साथ अन्याय बात रहे हैं.

क्या है पूरा मामला?

हाल ही में यानी 12 अक्टूबर के दिन मंदिर प्रशासन ने पुरानी प्रसाद व्यवस्था को खत्म कर दिया और पुराने वेंडर्स को हटाकर प्रसाद निर्माण की जिम्मेदारी अमूल को दे दी. अब जो लोग पहले महाप्रसाद बनाते थे, वह लोग इससे नाराज हो गए. इसी के साथ महाप्रसाद के दाम बढ़ने से भी मंदिर ट्रस्ट का ये फैसला विवादों में आ गया. 

इस बारे में काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने बताया, महालक्ष्मी ट्रेडर्स और बेला पापड़ स्वयं सहायता समूह को काशी विश्वनाथ मंदिर के महाप्रसाद बनाने की जिम्मेदारी मिली थी. पहले महाप्रसाद 100 रुपए में 200 ग्राम मिला करता था. अब नया तांदुल महाप्रसाद 120 रुपये में 200 ग्राम है. उन्होंने आगे कहा कि अभी जो महाप्रसाद बन रहा है, वह मशीनों से बनाया जा रहा है. ऐसे में मुल्य की तुलना करना तर्क नहीं है. 

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‘स्थानीय वेंडर्स का अनुबंध खत्म हो चुका था’

मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने बताया, पहले स्थानीय वेंडर्स को विश्वनाथ मंदिर का प्रसाद बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी और इनका अनुबंध डेढ़-दो साल पहले खत्म हो चुका था.  इस बारे में वेंडर्स को बता भी दिया गया था. फिलहाल मौखिक आधार पर काम चल रहा था. मगर अब प्रसाद निर्माण का काम सुचिता, शुद्धता और पवित्रता को ध्यान में रखते हुए नई कंपनी को दे दिया गया. 

क्या कहना है वेंडर्स का?

काशी विश्वनाथ मंदिर में महाप्रसाद निर्माण से हटाए गए दोनों वेंडर्स में से एक बेला पापड़ स्वयं सहायता की महिलाओं ने बताया कि अचानक विश्वनाथ मंदिर से इसको लेकर नोटिस आया. बताया गया कि अब उन्हें महाप्रसाद का लड्डू नहीं बनाना है. अब उनके सामने रोटी-कपड़ा और मकान-इलाज का संकट खड़ा हो गया है.

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स्वयं सहायता समूह की कई महिलाओं का कहना है कि इस फैसले से उनके बच्चों के भविष्य पर भी सवाल आ खड़ा हुआ है. अब उनकी पढ़ाई का क्या होगा? महिलाओं का कहना है कि वह हर दिन तीन से चार क्विंटल लड्डुओं की बिक्री करती थी. मगर अचानक विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने सब कुछ बंद कर दिया. महिलाओं का कहना है कि दिवाली और देव दिवाली के मौके पर उन्होंने पहले से ही लाखों रुपये का कच्चा माल जमा कर रखा है. 5 लाख डिब्बे भी तैयार हैं. मगर अचानक फैसला ले लिया गया. मंदिर के इस फैसले से 40 से 50 महिलाओं की रोजी-रोटी और भविष्य पर संकट आ गया है.

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