लोकसभा चुनाव में मिले झटके बाद UP उपचुनाव में कैसे किया भाजपा ने 7-2 वाला ये कमाल, गजब रणनीति

शिल्पी सेन

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UP CM Yogi Adityanath
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UP News: लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश ने भाजपा को बड़ा झटका दिया था. यूपी ने ही भाजपा को बहुमत से पीछे कर दिया था. मगर लोकसभा चुनाव के कुछ ही महीने बाद तस्वीर पलट गई है. उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने ये बाजी 7-2 से जीत ली है. भाजपा नीत एनडीए ने 9 में से 7 सीट जीतकर एक बार फिर यूपी में जबरदस्त वापसी की है. माना जा रहा है कि उपचुनाव में हुआ ये कमाल मुखयमंत्री योगी आदित्यनाथ के 'बटेंगे तो कटेंगे' नारे, पार्टी संगठन की जमीनी तैयारियों का परिणाम है. 

यूपी में 9 में से 7 सीटों पर मिली जीत दिखाती है कि इस बार पार्टी संगठन और सरकार में तालमेल अच्छा रहा. खासकर कुंदरकी और कटेहरी में मिली जीत भाजपा के लिए संजीवनी साबित हुई है. इस जीत ने पार्टी कार्यकर्ताओं को भी आत्मविश्वास से भर दिया है. 

क्या रही भाजपा की विजय की वजह?

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सदस्यता अभियान को लेकर जनता के बीच पहुंचे नेता-कार्यकर्ता

इस बार उपचुनाव से पहले भाजपा ने सदस्यता अभियान शुरू किया. इस अभियान के लिए पार्टी के नेता और कार्यकर्ता जनता के बीच में गए. हर मोर्चे को सदस्यता का टारगेट मिला. ऐसे में उपचुनाव वाली सीटों पर भी डोर टू डोर भाजपा के नेता-कार्यकर्ता जनता के पास पहुंचे और संपर्क साधा. दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की कोई खास सक्रियता थी ही नहीं, जिसका परिणाम पार्टी को देखने को मिला.

कार्यकर्ताओं के समायोजन से संदेश

लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा बैठक में ये बात निकल कर आई थी कि कार्यकर्ता उदासीन हैं. इसके पीछे ज़िलों में उनकी शिकायत न सुने जाने की बात थी. इसी के साथ ये बात भी सामने आई की अधिकारी भी कार्यकर्ताओं की शिकायत पर ध्यान नहीं देते हैं. इसे देखते हुए लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रदेश नेतृत्व की तरफ से कई बार संदेश दिया गया और कहा गया कि कार्यकर्ताओं के सम्मान से कोई समझौता नहीं होगा.

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भाजपा सरकार ने महिला आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, सेवा आयोग जैसे आयोगों का पुनर्गठन किया और कई कार्यकर्ताओं-नेताओं को समायोजित किया. इससे कार्यकर्ताओं और नेताओं को भी संदेश मिला कि सरकार में उनको महत्व दिया जा रहा है और कार्यकर्ता फिर से पार्टी के साथ पूरी तरह से जुड़े.

सरकार-संगठन में तालमेल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संगठन के शीर्ष नेताओं के साथ उपचुनाव की योजना लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद शुरू कर दी थी. उपचुनाव में योगी सरकार और प्रदेश संगठन का तालमेल भी देखने को मिला. सीएम योगी के ' super-30 फार्मूला ने काम कर दिखाया. उपचुनावों को लेकर मंत्रियों को सीटों की जिम्मेदारी दी गई. इसके अलावा हर क्षेत्र में जातीय संतुलन साधने के लिए भी 10-10 विधायकों को लगाया गया. ये वो विधायक रहे जिनको उस क्षेत्र के जातीय गणित को देखते हुए लगाया गया था. 

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ये रणनीति भी कारगर रही. इसके साथ तालमेल बनाकर संगठन के पदाधिकारियों ख़ास तौर कर महामंत्री, उपाध्यक्ष और प्रदेश मंत्रियों को लगाया गया था. इससे इन कार्यकर्ताओं को उस विधानसभा की ज़मीन समझने और काम करने के लिए काफ़ी समय मिल गया.

उपचुनाव में लगा दिया पार्टी ने पूरा तंत्र

भले ही ये उपचुनाव हो पर भाजपा ने इन विधानसभा उपचुनाव को काफी गंभीरता से लिया. पूरी तरह से रणनीति बनाकर काम किया. चुनाव का पूरा मैनेजमेंट देखने को मिला. संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह और प्रदेश अध्यक्ष भी संगठन के मोर्चे पर काम करते रहे. अनुभवी कार्यकर्ताओं को बूथ जिताने की जिम्मेदारी दी गई.इसी के साथ पन्ना प्रमुख की संरचना को भी जमीन पर उतारा गया. इस तरह से भाजपा ने इन उपचुनावों के माध्यम से यूपी में जबरदस्त वापसी की.

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