मैनपुरी उपचुनाव ने बढ़ाई SP-BJP की ‘टेंशन’, जानें किसकी हो सकती है जीत?

कुमार अभिषेक

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Mainpuri by-election: यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर वोटिंग के बाद भाजपा और सपा ने अपनी अपनी जीत का दावा ठोका है. बीजेपी ने तीनो सीटों (मैनपुरी, रामपुर और खतौली) पर अपनी जीत का दावा किए है, तो समाजवादी पार्टी का दावा है कि उन्होंने अपना गढ़ (मैनपुरी) बचा लिया है.

वोटिंग के बाद अब सभी दल पोलिंग बूथों पर पड़े वोटों का हिसाब किताब लगाने में जुट हैं. बीजेपी जहां 1-1 बूथ पर पड़े वोटों की गिनती में जुटी है, वहीं समाजवादी पार्टी भी बूथ दर बूथ अपनी इस लड़ाई के नफे-नुकसान के हिसाब किताब में लगी है. लेकिन मैनपुरी में लगभग 15 फीसदी वोटिंग कम होने से समाजवादी पार्टी में बेचैनी देखी जा रही है. बीजेपी मैनपुरी में जीत का दावा जरूर कर रही है लेकिन उसकी उम्मीद उस साइलेंट वोट पर टिकी है, जो बिल्कुल चुप है और समाजवादी पार्टी के खिलाफ, कभी बसपा को तो कभी अपने स्वजातीय प्रत्याशियों को वोट करता रहा है.

समाजवादी पार्टी के नेताओं का विधानसभावार आकलन है कि एक बार फिर उन्हें जसवंतनगर में बंपर लीड मिलेगी. करहल में वो काफी मार्जिन से आगे रहेंगे, किशनी में थोड़े मतों से आगे होंगे लेकिन भोगांव और मैनपुर सदर विधानसभा में थोड़े मतों से बीजेपी से पीछे रह सकते हैं. ऐसे में जसवंतनगर करहल और किशनी की जीत उन्हें मैनपुरी चुनाव में निर्णायक लीड दे देगी.

वहीं, मैनपुरी में बीजेपी का आकलन दलित वोटों और साइलेंट वोटों पर टिका है. बीजेपी का आकलन है कि समाजवादी पार्टी को यादव वोट, मुस्लिम वोट और थोड़े थोड़े वोट सभी जातियों में मिलेंगे. जबकि बीजेपी को शाक्य, सैनी सहित सभी ओबीसी के वोटों का बड़ा बड़ा हिस्सा मिला है. बीजेपी के अनुसार, दलितों में जाटव वोट उन्हें चुपचाप बड़ी तादाद में मिले हैं, जो साइलेंट वोटर माने जाते हैं. बीजेपी का मानना है कि सवर्णों ने उन्हें बड़ी तादाद में वोट दिया है.

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हालांकि बीजेपी यह भी कह रही है कि यह कांटे का चुनाव है और वह बहुत थोड़े अंतर से यह सीट जीतेगी. जबकि समाजवादी पार्टी का दावा है कि मुलायम सिंह यादव से भी ज्यादा वोटों के अंतर से डिंपल यादव जीतेंगी.

अगर डिंपल यादव चुनाव जीतती हैं, तो ‘चाचा’ शिवपाल ही एक्स फैक्टर होकर उभरेंगे. क्योंकि सभी विधानसभाओं में जसवंत नगर ही समाजवादी पार्टी को सबसे ज्यादा बढ़त देगा. करहल अखिलेश यादव की विधानसभा है, तो जसवंतनगर शिवपाल यादव की. ऐसे में इन दोनों की निर्णायक लीड ही डिंपल यादव की जीत तय करेगी, लेकिन बीजेपी ने जिस तरीके से दलित वोटों पर अपनी नजरें लगाईं हुई हैं, इससे सपा खेमे में थोड़ी बेचैनी बढ़ी है.

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बता दें कि समाजवादी पार्टी के लोग मुलायम सिंह यादव से भी ज्यादा वोट से डिंपल यादव के जीत का दावा कर रहे हैं. मगर अंदरूनी तौर पर सपा के लोग यह मानते हैं कि इस बार लड़ाई कड़ी है और जीत का मार्जिन कम होने जा रहा है.

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