रामचरितमानस विवाद के पीछे है कोई राजनीतिक प्रयोग? स्वामी प्रसाद मौर्य ने खुद बताई ये बात

कुमार अभिषेक

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स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने रामचरितमानस पर सवाल उठाया तो विवाद खड़ा हो गया, यह विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है. विरोध दल के नेताओं, साधू, संतों द्वारा स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमले किये जा रहे हैं तो वहीं सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य भी अपने बयान पर कायम दिख रहे हैं. इस विवाद के बीच स्वामी प्रसाद मौर्य ने यूपी तक से खास बात चीत की और तमाम मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी.

रामचरितमानस पर दिये गए अपने बयान पर कायम हैं आप? इस सवाल का जवाब देते हुए स्वामी प्रसाय मौर्य ने कहा कि हमें रामचरितमानस से कोई आपत्ति नहीं. चौपाई के इस अंश से जिससे देश की महिलाओं का अपमान हो रहा है. शूद्र समाज में सभी जातियों का अपमान हो रहा है भेदभाव उनके साथ किया जा रहा है उस अंश को हटा दिया जाए.

रामचरितमानस विवाद पर कही ये बात

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि स्वाभाविक रूप से देश के समस्त महिलाएं आदिवासी दलित और पिछड़े जिस अंश से अपमानित हो रहे हैं. जिसका उल्लेख मैं पूर्व में कर चुका हूं. जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए जिन जातियों को उल्लेखित किया गया और नीच कहा गया है. समस्त शूद्र यानी इसमें सभी आदिवासी दलित पिछड़े आते हैं. समस्त महिलाएं किसी भी वर्ण वर्ग समाज के हो सब हैं यह मार खाने पटाई के पात्र हैं…. धर्म मानव कल्याण के लिए होता है और मानवता के लिए होता है. किसी भी धर्म को किस वर्ण किसी भी वर्ग किसी भी जाति किसी भी समाज को अपमानित करने का हक नहीं है. गाली धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता. इस विवाद पर क्या अखिलेश यादव आपके साथ खड़े हैं? इस सवाल पर सपा नेता ने कहा कि बाद राजनीतिक नहीं है. सामाजिक है.

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उहोंने कहा कि शुद्र समाज को, देश की महिलाओं को अपमानित होने से बचाया जाए स्वाभाविक रूप से कोई भी सूझबूझ का नेता व्यक्ति या समाज कौन के सम्मान के खिलाफ बोलेगा. जब इस विषय पर उन्होंने कोई प्रतिकार नहीं किया तो सुबह ही ग्रुप से जो अर्थ निकालना हो निकाल लो. बैठक किसी न्यायिक विषय पर हुई उसका मैंने कभी भी उल्लेख कर दिया कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में एक देश के अनुसूचित समाज, पिछड़े वर्गों को वोट लेने के लिए हिंदू बना दिया लेकिन जब उनके अधिकार की बात आती है तो बेगाने हो जाते हैं.

उन्होंने कहा कि एक-एक करके देश के दलितों पिछड़ों का आरक्षण भाजपा ने खत्म कर दिया अब हम उनको हम आरक्षण का अधिकार दिलाने के लिए जाति आधारित जनगणना कराने के लिए जनता के बीच में जाएंगे मैदान में उतरेंगे और भारतीय जनता पार्टी का दोहरा चरित्र जनता के बीच में उजागर करेंगे.

अखिलेश यादव पर कही ये बात

अखिलेश यादव की इस मुद्दे पर मौन सहमति है? इस सवाल पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि आप उनके चिंता मत करिए और शायद कल आपने राष्ट्रीय अध्यक्ष जी का बयान को नहीं सुना. उन्होंने अपना नजरिया और स्पष्ट कर दिया है. आप सबको मालूम है राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा किस तरीके से भारतीय जनता पार्टी शुद्र समाज का दुश्मन है. आरक्षण को खत्म कर रही इनको आप आने करने का काम कर रही है. उनको धार्मिक स्थान पर जाने का विरोध करती है. भारतीय जनता पार्टी के इस रवैया का कड़ी निंदा करते हैं और पूरा का पूरा शूद्र समाज भारतीय जनता पार्टी के दोहरे चरित्र को देख रहा है . आज पूरे देश में चर्चा चल रही है तो हमें सकारात्मक प्रणाम आने की उम्मीदें बढ़ी है. आज नहीं तो कल अपने हिंदू धर्म को मानने वाले दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए हमारे साथ खड़े होंगे कयास बाजी कोई भी लगा सकता है.

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ये मुद्दा अचानक से कैसे आ गया जब तक विपक्ष बेरोजगारी, महंगाई और गरीबी का उठा रहा है… तो आप ये मुद्दा क्यों लाए. इस सवाल पर सपा नेता ने कहा कि मैंने शुरूआती दौर में अपना बयान देकर कहा था कि यह बयान स्वामी प्रसाद मौर्या का है. रही बात देश में जो महंगाई है, आसमान पर छाई है. देश के गरीबों मजदूरों किसानों की कमर टूट रही. नौजवान बेरोजगार घूम रहा है जीएसटी से कब की कमर टूटी पड़ी है. सभी मुद्दों पर सरकार फेल है, विकास ठप है. 24 घंटा भाजपा सरकार लोगों की आंख में धूल झोंकने के लिए लगातार हिंदू मुस्लिम करती रहती है. इसके खिलाफ समाजवादी पार्टी राजनीतिक फ्रंट से हमेशा लड़ाई करती रहती है. आज भी लड़ रही है और आगे भी लड़ती रहेगी. यह सामाजिक सरोकार से जुड़ा है.

राजनीतिक मुद्दे राजनीति में आ जाते हैं इसलिए अभी कोई चुनाव नहीं है. अभी हम चुनावी माहौल में यहां सब कहते तो लोग इसका अर्थ निकालते हैं या माहौल खराब कर रहे हैं. इस समय कोई चुनाव नहीं है. इस समय इत्तेफाक है सारे इलेक्ट्रॉनिक प्रिंट मीडिया के लोग इस विषय पर हमसे सवाल किए.

इसको ये माना जा रहा है कि दलित और पिछड़े वर्ग को साधने के लिए आप ऐसा कर रहे हैं? इस सवाल पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि आप मुख्य मुद्दे क्यों हटाना चाहते हैं. आप महिलाओं के दुश्मन हैं. विदेश के आदिवासी दलितों पिछड़ों सम्मान के दुश्मन है. जो मुख्य मुद्दा है, आप उसको घुमा करके राजनीति से क्यों जोड़ना चाहते हैं. यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है. यह रामचरितमानस राजनीति का हिस्सा नहीं है. रामचरितमानस धर्म से जुड़ा हुआ है इसके कुछ चौपाइयों पर मैंने आपत्ति दर्ज की है.

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बीजेपी का फोकस भी ओबीसी पॉलिटिक्स पर है. प्रधानमंत्री खुद भी उसी समाज से हैं..आप भी अब खुलकर कोशिश में लगे हैं लुभाने की. ऐसो क्यों इस सवाल पर उन्होंने कहा कि एक बार किसी ने कहावत कह दी थी कहां राजा भोज कहां गंगू तेली. तो प्रधानमंत्री जी को बहुत बुरा लगा था लेकिन सही मायने में वह चलावा दिखावा था. अगर माननीय प्रधानमंत्री सही मायने में अपने को पिछड़ा मानते तो उसमें पिछड़े और दलित के चेहरे दिखाई पड़ते. उसमें एक भी पिछड़ा दलित का चेहरा नहीं है. इसका मतलब है पिछड़ा का चेहरा दिखावटी है ,अंदर कुछ और है.

आज की स्थिति में बीजेपी को कैसे हराया जा सकता है? क्या विपक्ष एकजुट हो पाएगा? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी जैसी सख्त प्रधानमंत्री और बड़ी नेता को जीरो पर आउट होना पड़ा. यही नहीं मौके-मौके पर विपक्ष यूनाइट हुआ है चाहे 77 का रहा हो 89 का रहा हो. जनता पार्टी रही हो जनता दल रहा हो या फिर वहीं पर परिस्थितियां ऑल अपोजिशन यूनाइट भी होगा, 2024 बीजेपी की विदाई भी होगी.

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