मां-बेटी जिंदा कैसे जलीं? सिलसिलेवार जानिए कानपुर देहात के अग्निकांड की पूरी कहानी

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Kanpur Dehat News: उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के थाना रूरा के मड़ौली गांव में सोमवार को ग्राम समाज की जमीन से अतिक्रमण हटाने के दौरान मां-बेटी की जिंदा जलकर मौत हो गई. मृतक महिला के पति कृष्ण गोपाल दीक्षित का आरोप है कि प्रशासन के लोगों ने गांव के कुछ लोगों के कहने पर उनके घर में आग लगवा दी. हालांकि स्थानीय डीएम ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जा रही है. वहीं, अब इस मामले पर राजनीति तेज हो गई है. मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी ने सत्ताधारी भाजपा पर ब्राह्मण विरोधी होने के साथ-साथ कई गंभीर आरोप लगाए हैं. साथ ही भाजपा का कहना है कि विपक्ष इस मुद्दे से अपनी सियासी ‘रोटी सेंकने’ का काम कर रही है. खबर में आगे सिलसिलेवार तरीके से जानिए कि आखिर यह पूरा मामला है क्या?

मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस-प्रशासन सोमवार को सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाने गया था. इसी दौरान एक महिला चिल्लाते हुए दौड़कर झोपड़ी में चली गई और उसने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया. इसके बाद मौके पर उपस्थित पुलिस ने दरवाजा तोड़ दिया और इसी दौरान झोपड़ी में आग गई. महिला और उसकी बेटी अंदर थीं. पुलिस फोर्स और अफसरों के सामने दोनों की जिंदा जलकर मौत हो गई. वहीं, दोनों को बचाने में पति कृष्ण गोपाल बुरी तरह झुलस गए.

FIR में क्या कहा गया है?

मृतका के बेटे शिवम दीक्षित ने एफआईआर में बताया है कि विवादित जमीन उनके पास 100 से अधिक सालों से है. इस जमीन पर उनके बुर्जुर्गों ने बगीचा बनाया था. अब करीब 20 सालों से उनके माता-पिता इस जमीन पर पक्का मकान बनाकर रह रहे थे. शिवम ने एफआईआर में बताया कि बीती 14 जनवरी को एसडीएम मेथा पुलिस और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ पूर्व में बिना नोटिस दिए मकान गिराने आए थे. जब एसडीएम से मकान गिराने संबंधी जानकारी मांगी गई तो उन्होंने कहा कि ‘तुम्हारे ग्राम सभा के अशोक दीक्षित ने तुम्हारे खिलाफ ग्राम सभा कि जमीन पर अवैध पक्का निर्माण कर रहने हेतु में प्रार्थना पत्र दिया है.’ शिवम के अनुसार, उन्हें पूर्व में नोटिस-सूचना दिए बगैर और कानूनी प्रक्रियाएं पूरी किए बिना ही उनका मकान गिरा दिया गया. तथा फूस का छप्पर जिसमें गोवंश-बकरियां बांधी जाती हैं, उसे छोड़ा दिया गया.

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एफआईआर में शिवम के हवाले से बताया गया है कि इसके बाद वह अपने परिवार के साथ डीएम ऑफिस पहुंचे. आरोप है कि यहां पीड़ित परिवार की सुनवाई नहीं की गई और बल्कि परिवार के लोगों के खिलाफ थाना अकबरपुर में बलवा का मुकदमा लिखवा दिया गया और जेल भेजने की धमकी देकर वहां से भगा दिया गया.

घटना वाले दिन क्या हुआ?

शिवम द्वारा एफआईआर में दी गई जानकारी के मुताबिक, 12 फरवरी, सोमवार को दोपहर 3 बजे वह अपने माता-पिता और बहन के साथ झोपड़ी में आराम कर रहे थे. झोपड़ी के अंदर 22 बकरियां भी थीं. इस दौरान एसडीएम मैथा जानेश्वर प्रसाद, कानूनगो मैथा, ग्राम मडौली के लेखपाल अशोक सिंह, थाना रुरा के एसएचओ दिनेश कुमार गौतम अपने 12 से 15 पुरुष-महिला सिपाहियों के साथ मौके पर पहुंचे. इनके साथ दीपक नामक जेसीबी ड्राइवर भी मौजूद था.

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शिवम का आरोप है कि उनके माता-पिता और बहन को बिना सचेत किए ही झोपड़ी को गिरा दिया गया. शिवम का दावा है कि लेखपाल अशोक सिंह द्वारा आग लगवा दी गई और एसडीएम मैथा द्वारा कहा गया कि ‘आग लगा दो झोपड़ी में, कोई बचने न पाए.’ शिवम के अनुसार, किसी तरह से वह आग से बाहर निकले तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें पीटा और फिर से आग के हवाले करने की कोशिश की. इस हादसे में शिवम की मां और बहन की मौत हो गई जबकि उनके पिता बुरी तरह से झुलस गए. एफआईआर में शिवम ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है.

इस घटना पर किसने क्या कहा?

ADG कानपुर जोन आलोक सिंह ने कहा, “कानपुर देहात के अंतर्गत एक गांव में कथित तौर पर प्रशासन द्वारा अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई के दौरान झोपड़ी में आग लगने से एक महिला और उसकी बेटी की जलकर मौत हो गई. घटना के बारे में पता किया जा रहा है. तहरीर के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.”

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कानपूर के कमिश्नर राज शेखर ने कहा, “घटना में एफआईआर दर्ज़ कर ली गई है. हम आरोपी को पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं. लेखपाल व एसडीएम को निलंबित किया है.”

यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा, “अधिकारियों से बात की है, किसी भी दोषी को हम बख्शेंगे नहीं. प्रशासनिक अधिकारी हों या पुलिस के अधिकारी हों, कानपुर में झुग्गी झोपड़ी पर जाकर जिन लोगों ने ऐसा काम किया है उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी. जांच कमेटी की रिपोर्ट आज मिल जाएगी.”

वहीं, समाजवादी पार्टी मुख्य सचेतक मनोज पांडे ने बीजेपी सरकार पर ब्राह्मणों के खिलाफ अत्याचार का लगाया आरोप है. यूपी तक से बातचीत पर मनोज पांडे ने कहा कि ‘बिना किसी नोटिस के उस ब्राह्मण परिवार को सताया गया, जो बकरी पालकर अपना जीवन चलाता था. ये शर्म की बात है कि एक मां और बेटी को धूं-धूं कर जलना पड़ा. मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है, जिसके लिए यह सरकार जिम्मेदार है.’

कांग्रेस नेता अंशु अवस्थी ने कहा कि ‘कानपुर की घटना सरकार की तरफ से कराई गई सुनियोजित हत्या है, अधिकारी मूकदर्शक बनकर बैठे रहे और मां और बेटी ने अपने आप को जला दिया गया.’

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