क्रिकेट के चैलेंज पर योगी का पलटवार- बड़े खिलाड़ी हैं, तो पुरस्कार के लिए भेज दें नाम?

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यूपी विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव देने खड़े हुए सीएम योगी (Yogi Adityanath) अलग ही रूप में नजर आए. सीएम योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी पर चुन-चुनकर वार किए. सीएम ने रामचरितमानस की चौपाई विवाद पर ताड़ना और शूद्र का मतलब समझाया. इसके अलावा अखिलेश यादव के क्रिकेट खेलने के चैलेंज का भी जवाब दिया.

आपको बता दें कि विधानसभा में अपने संबोधन के दौरान अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने सीएम योगी को पहली बार पर बोल्ड करने की बात कही थी. अखिलेश ने इकाना स्टेडियम में मैच खेलने का चैलेंज दिया था. इसपर आरएलडी चीफ जयंत चौधरी ने मजे लेते हुए कहा था कि इस मैच में वह भी खेलेंगे. लेकिन शनिवार को बारी सीएम योगी आदित्यनाथ की थी.

सीएम योगी ने सदन में कहा, ”नेता विरोधी दल खेल के बारे में कह रहे थे. कह रहे थे कि आप अकेले ही क्यों खेल रहे हैं. भाई मैं तो अकेले ही आया हूं, अकेले ही जाना है.’ सीएम योगी ने तंज कसते हुए कहा कि, ‘अगर नेता विरोधी दल बहुत बड़े खिलाड़ी हैं, तो हम उनका नाम किसी पुरस्कार के लिए भेज दें? यूपी से किसी खिलाड़ी को मिले तो हमारे लिए अच्छी बात होनी चाहिए. हमने सैकड़ों खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया है. राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार को हमारी डबल इंजन की सरकार ने मेजर ध्यानचंद पुरस्कार के रूप में घोषित किया है. मेरे पूर्ववर्ती सीएम का नाम इसमें आ जाए तो अच्छा है.’

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सीएम योगी एक मैच का जिक्र करते अखिलेश को कहा कि, ‘ये पहले ही बॉल पर कैच आउट होते हैं. लेकिन कहा जाता है कि ये नो बॉल है. शिवपाल जी ने भी तब टिप्पणी की थी. रामचंद्र जी ने कहा था कि भय बिन होई न प्रीति, इधर के ही भय से सही चाचा श्री का सम्मान मिला. शिवपाल ने तब कहा था कि हमेशा अच्छी नीयत से खेलना चाहिए.’

सीएम योगी ने आगे कहा, ‘इनके राज में खेल ही खेल होते थे. खेल प्रदेश की जनता ने बहुत देखे हैं. लैपटॉप घोटाला, खाद्यान्न घोटाला, गोमती रिवर फ्रंट घोटाले का आयोग, कैग की रिपोर्ट में 97 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का उल्लेख है. भर्ती आयोग में भी घोटाले का खेल हुआ है. चयन आयोगों पर हाई कोर्ट की टिप्पणी. भर्तियों में जमकर भ्रष्टाचार और प्रतिभा के साथ छद्म, यह भी खेल होता था. मुजफ्फरनगर के दंगे, मथुरा में रामवृक्ष कांड का खेल. पत्रकार योगेंद्र सिंह को जिंदा जला देने का खेल. आतंकियों पर लगे मुकदमों को वापस लेने का खेल.’

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