ओम प्रकाश राजभर को समझना बीजेपी और सपा दोनों के लिए ‘चक्रव्यूह’, देखिए इनका नया पैंतरा
Om Prakash Rajbhar News: सियासत और सहूलियत के बीच तनिक सा ही फर्क होता है. आप सहूलियत के हिसाब से जब चाहें सियासत बदल सकते…
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Om Prakash Rajbhar News: सियासत और सहूलियत के बीच तनिक सा ही फर्क होता है. आप सहूलियत के हिसाब से जब चाहें सियासत बदल सकते…
Om Prakash Rajbhar News: सियासत और सहूलियत के बीच तनिक सा ही फर्क होता है. आप सहूलियत के हिसाब से जब चाहें सियासत बदल सकते हैं और सियासत की वजह से आपको सहूलियत मिल जाती है. अब एक बार इस खबर की शुरुआत में शेयर किए गए वीडियो को गौर से देख लीजिए. आज से महज 10 महीने पहले आप इन तस्वीरों के बारे में सोच सकते थे क्या? जिस बीजेपी को हर मंच से पानी पी-पी कर राजभर कोस रहे थे आज उसी बीजेपी के वरिष्ठ नेता और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के बगल में भरत की तरह बैठे हुए हैं.
UP Politics news: बृजेश पाठक सभा को बता रहे हैं कि ओमप्रकाश राजभर को अटल बिहारी वाजपेई फाउंडेशन का उन्हें सह अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. इसके बाद उन्हें तीन बार पूछा जाता है, ठीक है ना, ठीक है ना ठीक है ना. फिर ओमप्रकाश राजभर उठते हैं और स्माइल देकर कहते हैं कि भाई की बात का हम समर्थन करते हैं. आह, क्या आलौकिक दृश्य था वो. इस दृश्य को देखने के बाद एक ही पंक्ति कान में गूंजने लगी. ‘सभा सकुच बस भरत निहारी। राम बंधु धरि धीरजु भारी.’
खैर, एक बात तो माननी पड़ेगी, ओमप्रकाश राजभर हैं खुले विचारों के नेता. इसीलिए तो खुद कह देते हैं कि नेताओं का कोई ठीक नहीं. दुमुहियां सांप होते हैं नेता. मौका मिला नहीं कि कौन से मुंह से डंस लें, कोई नही जानता. बीजेपी के साथ जाने को लेकर कई बार उनसे सवाल पूछा गया, तो जवाब मिला कि कसम थोड़े न ले रखे हैं. राजनीति में कुछ भी हो सकता है. कौन सोच सकता था कि बीजेपी और पीडीपी साथ आ कर सरकार बना लेंगे. राजभर ने तो सपा और बीजेपी के साथ आने से बनी सरकार का भी हवाला दिया.
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खैर, बता दें कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर यूपी में कई कार्यक्रम के आयोजन की तैयारियां चल रही हैं. 25 दिसंबर को वाजपेयी की जयंती. इस क्रम में 24 दिसंबर को एक बड़े कवि सम्मेलन का आयोजन होना है, जिसकी तैयारी उत्तर प्रदेश में जोर-शोर से चल रही है.
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