उत्तर प्रदेश की 5 मस्जिदें जहां हिंदू पक्ष ने मंदिर होने का दावा किया

यूपी तक

10 Dec 2024 (अपडेटेड: 10 Dec 2024, 03:37 PM)

उत्तर प्रदेश की पांच प्रमुख मस्जिदों को लेकर हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि ये मंदिरों को तोड़कर बनाई गई थीं. जानिए इन विवादों और कानूनी प्रक्रियाओं के बारे में.

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1- ज्ञानवापी मस्जिद, वाराणसी  

वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है. हिंदू पक्ष का दावा है कि यह स्थान प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा था जिसे मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर तोड़कर मस्जिद में तब्दील कर दिया गया. ज्ञानवापी का मामला फिलहाल अदालत में लंबित है. इस मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण हुआ था, जिसमें हिंदू पक्ष ने "शिवलिंग" जैसा ढांचा मिलने का दावा किया, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे वज़ूखाना का फव्वारा बताता है. 

Mathura Masjid

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2. शाही ईदगाह, मथुरा  

यह मस्जिद भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि से सटी हुई है. हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर बनी थी. उनका कहना है कि मुगलों ने यहां मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया. हिंदू संगठनों ने इस स्थल को वापस लेने के लिए अदालत में याचिका दायर की है. वे चाहते हैं कि यहां पूजा-अर्चना की अनुमति दी जाए. 

Sambhal Masjid

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3. संभल की जामा मस्जिद 

यूपी में हालिया विवाद संभल की जामा मस्जिद को लेकर भड़का है. इसे लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल शहर के बीचों-बीच भगवान कल्कि को समर्पित एक सदियों पुराना श्री हरि हर मंदिर है, जिसका जामा मस्जिद समिति द्वारा जबरन और गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है. इस मामले को लेकर स्थानीय स्तर पर तनाव बना हुआ है. प्रशासन ने शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की है.

Jaunpur Atala Masjid

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4. जौनपुर की अटाला मस्जिद

जौनपुर की ऐतिहासिक अटाला मस्जिद को लेकर भी हिंदू पक्ष का दावा है कि अटाला मस्जिद मूल रूप से एक प्राचीन हिंदू मंदिर-अटाला देवी मंदिर था. जौनपुर की अदालत में वाद दायर कर यह घोषणा करने की मांग की थी कि विवादित संपत्ति अटाला मंदिर है और सनातन धर्मावलंबियों को वहां पूजा करने का अधिकार है. फिलहाल ये विवाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के सामने पहुंचा है. 
 

Badaun Jama Masjid

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5. बदायूं की जामा मस्जिद

बदायूं की जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां पहले नीलकंठ महादेव मंदिर था. बता दें कि ये मामला फिलहाल फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा है. यह पूरा मामला साल 2022 में सामने आया था. अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल ने दावा किया था कि जामा मस्जिद की जगह पहले नीलकंठ महादेव मंदिर था. इसके बाद उन्होंने यहां पूजा-अर्चना की अनुमति के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी.
 

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