Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के जौनपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के दावेदारों में से एक धनंजय सिंह की याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट सुनवाई हुई. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश का रिकॉर्ड तलब किया है. बता दें कि धनंजय सिंह के वकील ने बिना ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड के इलाहाबाद हाईकोर्ट से सुनवाई की मांग की थी. धनजंय सिंह के इस मांग को हाईकोर्ट ने नामंजूर किया है, साथ ही 22 अप्रैल तक राज्य सरकार से भी इस मामले में जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई अब 24 अप्रैल को होगी.
ADVERTISEMENT
सात साल की हुई है सजा
इलाहाबाद हाईकोर्ट में इससे पहले 20 मार्च और 1 अप्रैल को केस टेकअप नहीं होने की वजह से सुनवाई नहीं हो सकी थी. ऐसे में अभी तक धनंजय के चुनाव लड़ने के फैसले पर ग्रहण लगा हुआ है. दरअसल, जौनपुर की विशेष अदालत ने उन्हें एक मामले में सात साल की सजा सुनाई है. जिसके बाद अदालते के आदेश पर उन्हें जेल भेज दिया गया. वहीं जौनपुर एमपी-एमएलए के स्पेशल जज की कोर्ट के फैसले के खिलाफ धनंजय सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. धनजंय सिंह ने हाइकोर्ट से 7 साल की सजा रद्द करने और जमानत पर रिहाई कि मांग की है.
क्या है पूरा मामला
जौनपुर कोर्ट के फैसले के बाद जेल में बंद धनंजय सिंह ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से इलाहाबाद हाईकोर्ट में जौनपुर कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. जौनपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उसके सहयोगी संतोष विक्रम सिंह को सात-सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. बता दें कि नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण, रंगदारी मांगने, धमकाने और आपराधिक साजिश के मामले में धनंजय सिंह को सजा हुई है. 10 मई 2020 को जौनपुर के लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व संतोष विक्रम के खिलाफ दर्ज मुकदमा दर्ज कराया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है.
ADVERTISEMENT