गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को गैगस्टर एक्ट के मामले में 10 साल की सजा सुनाई गई तो वहीं मुख्तार के भाई सांसद अफजाल को भी 4 साल की सजा सुनाई गई है. इस सजा के बाद अफजाल अंसारी की सांसद सदस्यता भी जाना तय माना जा रहा है. बता दें कि कभी इन अंसारी ब्रदर्स का राजनीतिक रसूख गाजीपुर समेत पूर्वांचल की सैकड़ों सीटों पर था. खुद को कानून से ऊपर समझने वाले मुख्तार ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि वह कानून के शिकंजे में ऐसा फंसेगा कि फिर बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा.
ADVERTISEMENT
बता दें कि अंसारी ब्रदर्स कई बार विधायक रहे और सांसद रहे. मगर मुख्तार की इमेज की वजह से उन्हें कभी किसी ने मंत्रीमंडल में शामिल नहीं किया. ये तीनों भाई कई बार विधायक रहे, अफजाल तो 2 बार सांसद भी रहे. मगर कभी किसी भी सरकार ने इन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी.
ये भी पढ़ें: मुख्तार अंसारी की कहानी, जिनके दादा स्वतंत्रा सेनानी और नाना फौज में ब्रिगेडियर थे
सपा-बसपा के नेताओं के काफी करीबी रहे अंसारी ब्रदर्स
मुख्तार और अफजाल अंसारी 5-5 बार विधायक रहे. अफजाल अंसारी तो 2 बार सांसद भी चुने गए. इनके बड़े भाई शिबततुल्ला अंसारी भी 2 बार विधायक रहे. कहा जाता है कि अंसारी ब्रदर्स समाजवादी पार्टी के पूर्व संरक्षक मुलायम सिंह यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती के भी खासा करीबी रहे. ये भाई समय-समय पर सपा-बसपा का दामन थामते रहे. मगर फिर भी इन्हें कभी किसी भी सरकार में मंत्री पद नहीं दिया गया.
कभी स्वतंत्रता सेनानी परिवार से जाने जाना वाला परिवार आज डॉन के नाम से पहचाना जाता है
मुख्तार अंसारी के परिवार की एक अलग ही पहचान रही है. अंसारी ब्रदर्स के दादा स्वतंत्रता सेनानी थे तो वहीं इनके चाचा देश के उपराष्ट्रपति भी रहे. कभी ये परिवार स्वतंत्रता सेनानी मुख्तार अहमद अंसारी के नाम से जाना जाता था. मगर आज ये परिवार माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के नाम से जाना जाता है.
ये भी पढ़ें: जब मुख्तार अंसारी ने जेलर पर तानी थी पिस्टल, कहा- बाहर निकल, जिंदा नहीं छोडूंगा, जानें
क्या ज्यादा राजनीतिक महत्वाकांक्षा बना कारण
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अंसारी ब्रदर्स से कम रसूख और कम पकड़ वाले लोग मंत्री बन गए. मगर सब कुछ होते हुए भी इन्हें कभी किसी सरकार ने मंत्री नहीं बनाया. ऐसा इसलिए कि इस परिवार की राजनीतिक महत्वाकांक्षा काफी ज्यादा रही हैं. कई बार अंसारी भाइयों ने राजनीतिक लाभ के लिए दल बदले हैं.
इसी का नतीजा था कि एक समय इन्होंने सपा-बसपा से नाराज होकर अपनी एक अलग पार्टी बना ली थी. पार्टी का नाम कौमी एकता दल रखा गया. 2012 विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्तार और शिबततुल्ला अंसारी इस दल से विधायक भी बने. मगर बदलते राजनीतिक हालातों को देखते हुए इन्होंने अपने दल का विलय बसपा में कर लिया.
ये भी पढ़ें: मुख्तार-अफजाल के बाद कौन संभालेगा अंसारी ब्रदर्स की विरासत? परिवार पर ही दर्ज 97 केस
मायावती ने बताया गरीबों का मसीहा तो मुलायम हेलीकॉप्टर में लेकर घूमे
राजनीति जानकारों की माने तो अफजाल और शिबततुल्ला अंसारी मंत्री बन सकते थे. बताया जाता है कि मुलायम सिंह, अफजाल अंसारी को हेलीकॉप्टर में लेकर घूमते थे तो वहीं मायावती ने तो मुख्तार अंसारी को गरीबों का मसीहा तक बता दिया था. मगर फिर भी कभी सपा-बसपा की सरकारों ने किसी भी अंसारी ब्रदर्स को मंत्री नहीं बनाया. कहा जाता है कि ये बात अंसारी परिवार को हमेशा खटकती रही.
ADVERTISEMENT