श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है. इस साल हरियाली तीज 7 अगस्त को मनाई जाएगी. इस दिन सुहागन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. इस दिन कुंवारी लड़कियां भी अच्छे पति की कामना लेकर व्रत रखती हैं. हरियाली तीज की मान्यता को लेकर कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने और क्या कुछ बताया है आइए जानते हैं.
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क्या है इस दिन की मान्यता
महंत रोहित शास्त्री के अनुसार, हरियाली तीज का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को माता गौरा विरहाग्नि में तपकर महादेव से मिली थीं. माता पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन ही मां पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया था.
यह तीज कई नामों से जानी जाती है जैसे कि श्रावणी तीज, हरियाली तीज, कजली तीज या मधुश्रवा तीज आदि. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और गणेश जी मां पार्वती और शिव की पूजा और कथा करके पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की प्रार्थना करती हैं. अच्छे वर की मनोकामना के लिए इस दिन कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती हैं. महिलाएं झूला झूलती हैं.
ऐसी मान्यता है कि नव विवाहित लड़कियां यह त्योहार अपने ससुराल में नहीं बल्कि मायके में मनाती हैं. इसके साथ ही इस दिन सावन में सुंदर पकवान पकाकर सिंधारा देने की परंपरा है जो ससुराल पक्ष अपनी बहू को उसके मायके जाकर देते हैं. सिंधारे के रूप में महिला को सुहाग की सामग्री, मेहंदी, हरी चूड़ियां, हरी साड़ी, घर के बने स्वादिष्ट पकवान,मिठाइयां, गुजिया, मठरी,फल,फैनी आदि दी जाती है. सिंधारा देने के कारण ही इस तीज को सिंधारा तीज भी कहा जाता है सिंधारा सास और बहु के आपसी प्रेम और स्नेह का प्रतिनिधित्व करता है.
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