Navratri 2024 Day 3: नवरात्रि के तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा, नोट कर लें पूजन विधि और आरती

यूपी तक

05 Oct 2024 (अपडेटेड: 05 Oct 2024, 03:07 PM)

Navratri 3 Day: नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व होता है. मां दुर्गा का यह रूप शांति और सौम्यता का प्रतीक माना जाता है. माथे पर स्थित अर्धचंद्र की वजह से चंद्रघंटा देवी का यह नाम उनके से जुड़ा हुआ है.

माँ चन्द्रघण्टा

माँ चन्द्रघण्टा

follow google news

Navratri 2024 Day 3: नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व होता है. मां दुर्गा का यह रूप शांति और सौम्यता का प्रतीक माना जाता है. माथे पर स्थित अर्धचंद्र की वजह से चंद्रघंटा देवी का यह नाम उनके से जुड़ा हुआ है. इस दिन व्रत करने वाले या दूसरे साधक विशेष रूप से माता की कृपा प्राप्त करने के लिए विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं. मां चंद्रघंटा की आराधना से भक्तों को भय, कष्ट और दुखों से मुक्ति मिलती है. पूजन विधि और आरती के सही नियम जानकर मां की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. 

यह भी पढ़ें...

इस संबंध में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष  महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने विस्तार से जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि माता दुर्गा देवी की तीसरी शक्ति है " माँ चंद्रघंटा". देवी के मस्तक मे घंटा के आकार का अर्धचन्द्र है, इसीलिए इनका नाम चंद्रघंटा है. मां चंद्रघंटा के पूजन में शारीरिक शुद्धता के साथ ही मन की पवित्रता का भी ध्यान रखना चाहिए. 

मां चंद्रघंटा की पूजन विधि

महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि इस दिन सुबह सबसे पहले स्नान करें. फिर एक स्थान को शुद्ध कर एक साफ चौकी पर मां चंद्रघंटा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. पूरे पूजा गृह और पूजा स्थल को गंगा जल से शुद्ध करें. चौकी पर कलश (चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश) में जल भरकर उसपर नारियल रखें. कलश स्थापना के बाद देवी-देवता नवग्रहों,तीर्थों, योगिनियों और नगर देवता की पूजा करें. पूजन का संकल्प लेते हुए वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों से मां चंद्रघंटा सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें. इसमें आवाह्न, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि आदि करें. इसके बाद प्रसाद बांट कर पूजा संपन्न करें. 

मां चंद्रघंटा की उपासना का मंत्र

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।

मंत्र का अर्थ यह है कि देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है,उनका ध्यान हमारे इस लोक और परलोक दोनों को सद्गति देने वाला है. इनके मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है, इसीलिए मां को चंद्रघंटा कहा गया है, इनके शरीर का रंग सोने के समान बहुत चमकीला है और इनके दस हाथ हैं. देवी के हाथ खड्ग और अन्य अस्त्र-शस्त्र से विभूषित हैं. सिंह पर सवार दुष्‍टों के संहार के लिए देवी हमेशा तैयार रहती हैं. इनके घंटे सी ध्वनि से अत्याचारी कांपते रहते हैं.

महंत रोहित शास्त्री के मुताबिक मां चंद्रघंटा की श्रद्धा एवं भक्ति भाव सहित पूजा अर्चना करने वालों को मां संसार में कीर्ति, यश एवं सम्मान हासिल करने का आशीर्वाद देती हैं.

    follow whatsapp