Navratri Day 6: नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. देवी कात्यायनी को शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है. उनकी पूजा से जीवन में शक्ति, साहस और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आज के दिन की विशेषता के बारे में बात करते हुए ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि जिन कन्याओं के विवाह मे विलम्ब हो रहा हो, उन्हे इस दिन माँ कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, जिससे उन्हे मनोवान्छित वर की प्राप्ति होती है.
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मां दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है इस दिन साधक का मन ‘आज्ञा’ चक्र में स्थित होता है. योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है. इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है. परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्तों को सहज भाव से मां के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं.
क्या है देवी कात्यानी की कहानी
माता कात्यानी के विषय में महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने अपने घर में कन्या प्राप्त करने हेतु मां भगवती का कठोर तप किया था. इसके बाद माता उनकी भक्ति से प्रसन्न हुईं और उन्हें दर्शन देकर वरदान दिया कि मैं तुम्हारे घर में एक कन्या के रूप में जन्म लूंगी. जब महर्षि कात्यायन के घर में पुत्री का जन्म हुआ तब उन्होंने उसका नाम कात्यानी रखा. कुछ समय बाद जब धरती पर महिषासुर नामक राक्षस अत्याचार करने लगा तब तीनों देवों के शरीर के तेज से एक कन्या का जन्म हुआ जिसने महिषासुर का वध किया और कात्या गौत्र में जन्म लेने के कारण उनका नाम कात्यायनी पड़ा.
माता कात्यायनी का वर्ण सोने के समान चमकीला है और देखने में बहुत सुंदर और अलोकिक है. इनके चार हाथ हैं , इन्होंने एक हाथ में कमल का फूल ,तलवार, अभय मुद्रा और वर मुद्रा के रूप में है. आज के दिन देवी को प्रसाद के रूप में शहद का भोग देने से पूजा करने वाले भक्त को सुन्दरता का वरदान प्राप्त होता है. ज्ञान प्राप्ति के लिए सभी को माता कात्यायनी की भक्ति अवश्य करनी चाहिए. इस कथा को पढ़ने के बाद दुर्गा सप्तशती के छठे अध्याय को भी पढना चाहिए . मां भगवती के 108 नाम और साथ ही दुर्गा चालीसा भी पढ़ें. बाद में आरती करे उसके बाद जल सूर्य को अर्पित करें और परिवार जनों में प्रसाद बांटें.
विवाह के लिए इस मंत्र का करें जाप
कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि !
नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:।
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थ: हे मां! सर्वत्र विराजमान और कात्यायनी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं। हे मां, मुझे दुश्मनों का संहार करने की शक्ति प्रदान कर।
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