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कहते हैं अंतिम यात्रा पर चार कंधों की जरूरत होती है पर नेताजी का पार्थिव शरीर अनेकों कंधों से होते हुए चिता तक पहुंचा.
ये नजारा अद्भुत था. हजारों हाथों में मोबाइल फोन के कैमरे इस नजारे को कैद कर रहे थे.
हर कोई उनकी आखिरी झलक पाने और उन्हें कंधा देने को बेताब दिखा.
ये नजारा देख ऐसा लगा जैसे नेताजी सबके हैं, केवल अपने परिवार के नहीं.
नेताजी को चिता पर जाते देख लोग रो पड़े. अपार कष्ट के साथ लोग अंतिम श्रद्धांजलि दे रहे थे.
नेताजी को चिरनिद्रा में देख लोग उन्हें अपलक निहारते रहे.
चिता की लकड़ियां भी हाथो-हाथ पहुंची. इस नजारे को भी लोगों ने मोबाइल कैमरे में कैद किया.
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