उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सुरंग धंसने से फंसे 41 मजदूरों में 6 मजदूर श्रावस्ती के मोतीपुर गांव के ही हैं. मोतीपुर कला और रनियापुर गांव के रहने वाले सत्यदेव, अंकित, जयप्रकाश, संतोष, राम मिलन और राम सुंदर के घरों में मातम पसरा है. बीते 12 नवंबर से थारू जनजाति के इन परिवारो के लिए एक-एक दिन और हर एक रात मुश्किल से कट रही है.
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मोतीपुर गांव के रनियापुर मजरे में रहने वाले सत्यदेव भी 12 नवंबर से सुरंग में फंसे हैं. सत्यदेव के बुजुर्ग पिता कहते हैं कि गांव में रोजगार नहीं, तो ज्यादा कमाने के लिए सत्यदेव सुरंग में काम करने गया था. वहां पर पुराने मजदूरों को 30 हजार से 35000 और सत्यदेव जैसे नए मजदूरों को 25-26 हजार रुपये मिल जाते हैं. दो-तीन महीने मजदूर रुककर काम करते हैं तो घर के लिए पैसा भेज पाते हैं.
सत्यदेव का बेटा दिव्यांश पास के ही हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करता है, लेकिन जब से पिता सुरंग में फंसे हैं वह हॉस्टल छोड़कर मां और दादी बाबा का ध्यान रखने घर आ गया है. सत्यदेव ने जब सुरंग में रहकर भी बेटे से बात की तो यही कहा स्कूल जाते रहना. लेकिन बेटा अपनी मां और दादी-बाबा को छोड़कर जाए तो जाए कैसे. अब वह भी कहता है कि पापा आ जाएंगे तो उनसे मिलने के बाद ही हॉस्टल वापस जाऊंगा.
सत्यदेव के घर के पास में ही एक दूसरे मजदूर जो सुरंग में फंसा है, राममिलन का घर है. राममिलन की पत्नी का तो रो-रोकर बुरा हाल है. 12 नवंबर से पति के सुरंग में फंसने की खबर मिली तो पत्नी बेसुध हो गई और तबीयत खराब हो गई तो डॉक्टर ने दवा दे रखी है. बेटा और बेटी मां का ख्याल भी रखते, लेकिन पत्नी रानी है जो पति को याद कर बिलख उठती है.
मोतीपुर के रनियापुर से दो मजदूर राममिलन और सत्यदेव के अलावा बाकी चार मजदूर मोतीपुर कस्बे के ही हैं. संतोष, रामचंद्र के अलावा जयप्रकाश और अंकित का भी परिवार ऐसे ही बिलख रहा है. अंकित की पत्नी तो आप बीती बताते बताते फूट-फूट कर रोने लगती हैं. मां अपनी पोती को गोद में लेकर आंसुओं को संभाल नहीं पाती. बेटी जब पापा के बारे में पूछती है तो मां बस यही कहती है, पापा जल्दी आएंगे, लेकिन कब आएंगे इसका जवाब किसी के पास नहीं है.
श्रावस्ती जिले में नेपाल बॉर्डर से सटे मोतीपुर और रनियापुर गांव के इन मजदूरो के परिवारों को ढाढस बंधाने स्थानीय समाजवादी पार्टी की विधायक इंद्राणी वर्मा भी पहुंचती हैं. सपा विधायक कह रही हैं कि देश के प्रधानमंत्री जी खुद बचाव कार्य पर नजर रखे हैं.
जिला प्रशासन के अफसर और हम इस परिवार की देखरेख कर रहे हैं, लेकिन भगवान से बस प्रार्थना ही कर सकते हैं कि भगवान सभी मजदूरों को भी सकुशल बाहर निकाले परिवारों की खुशियां बनाए रखें.
श्रावस्ती के जिस मोतीपुर गांव के रहने वाले मजदूर उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे हैं, वहां दिन-रात मातम पसरा रहता है. मोतीपुर गांव के रहने वाले संतोष और रामसुंदर का परिवार भी उनकी बाट जोह रहा है.
बुजुर्ग दादी मां बहन चाची और पत्नी सभी को संतोष के सुरंग से सकुशल बाहर आने का इंतजार है. परिवार का छोटा बेटा उत्तर काशी में ही उस जगह है, जहां से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. छोटा बेटा बताता है कि रेस्क्यू ऑपरेशन कितना चल रहा है, कब रुक गया है. परिवार का दामाद और दूसरा चचेरा भाई भी वहीं काम करने के लिए उत्तरकाशी गए थे, लेकिन जिस वक्त सुरंग धंसी उस शिफ्ट में संतोष काम करने गया था.
12 नवंबर को जैसे ही मजदूरों के सुरंग में फंसने की खबर परिवार को मिली तो परिवार में मातम छा गया. दीपावली पर न दिए जले ना कोई आतिशबाजी, बस भगवान से प्रार्थना की सब सुरक्षित रहें. संतोष के पड़ोस में ही रहने वाला राम सुंदर भी उन मजदूरों में है, जो बीते 13 दिनों से उसे सुरंग में फंसा है. राम सुंदर का बड़ा भाई और मां इंतजार कर रहे हैं कि कब उनका बेटा आएगा और कब उनकी दिवाली होगी.
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