मुस्लिम महिलाओं के लिए यूपी में होने जा रहा है ये खास काम, रोडमैप और एजेंडा पूरी तरह से तैयार

समर्थ श्रीवास्तव

23 Oct 2024 (अपडेटेड: 23 Oct 2024, 06:53 PM)

उत्तर प्रदेश में मुस्लिम महिलाओं के लिए एक खास काम होने जा रहा है. इसका रोडमैप और एजेंडा पूरी तरह से तैयार है. जानिए इस योजना से क्या बदलाव आएंगे.

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Initiative for Muslim women in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में मुस्लिम समुदाय की एक बड़ी जनसंख्या निवास करती है. 2011 की जनगणना के हिसाब से यूपी की कुल जनसंख्या में 19.26 फीसदी हिस्सेदारी मुस्लिम समुदाय की है. मुस्लिम समुदाय को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से तमाम प्रयास किए जाते रहे हैं. अब यूपी में खासकर मुस्लिम महिलाओं के हित के लिए खास उपाय किए जाने की तैयारी की गई है. इसके लिए रोडमैप और एजेंडा भी तकरीबन तैयार कर लिया गया है. इस संबंध में उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने सीएम योगी से मुलाकात की है. 

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जानिए मुस्लिम महिलाओं को लेकर यूपी में क्या योजना बनाई गई

यूपी में मुस्लिम महिलाओं की तरक्की के लिए UPMG प्रोग्राम यानी अपलिफ्टमेंट प्रोग्राम फॉर माइनॉरिटी गर्ल्स स्कीम चलाने की योजना है. इसमें ट्रिपल तलाक का दंश झेल रही मुस्लिम महिलाओं को जोड़ा जाएगा. इसके अलावा र्थिक रूप से कमजोर मुस्लिम महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य बनाया गया है. अल्पसंख्यक राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने इसे लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है. 

सीएम से अल्पसंख्यक समुदाय के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक उत्थान के लिए नई योजनाओं को लागू करने का अनुरोध किया गया है. इसके तहत मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ गणित, विज्ञान, कंप्यूटर जैसे विषय पढ़ाने वाले शिक्षकों को मानदेय देने की भी बात की गई है. सीएम से मदरसों के आधुनिकीकरण की योजनाओं के संचालन का अनुरोध किया गया है.

मदरसों पर कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हुआ है मामला

आपको बता दें कि यूपी में मदरसों के कानून का एक मामल सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हुआ है. दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 22 मार्च को ‘उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004’ को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाला करार देते हुए उसे ‘‘असंवैधानिक’’ करार दिया था.  उसने उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य के विभिन्न मदरसों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल करने का निर्देश दिया था. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 राज्य में मदरसों के संचालन को नियंत्रित करता है और इसे संस्थानों में संवैधानिक सिद्धांतों का पालन करते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रखा है. उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि वह ‘उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004’ पर कायम है और उसका विचार है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय को पूरे कानून को असंवैधानिक नहीं ठहराना चाहिए था. 

एक तरफ ये मामला लीगल पेच में फंसा हुआ है, तो दूसरी तरफ यूपी सरकार ने मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए उक्त तैयारियां भी करनी शुरू कर दी हैं.

 

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