उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के सिलसिले में अब तक 227 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी.
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अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बयान जारी कर बताया, ‘इस संबंध में राज्य में 227 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इसमें प्रयागराज में 68, हाथरस में 50, सहारनपुर में 48, अंबेडकरनगर में 28, मुरादाबाद में 25 और फिरोजाबाद में आठ लोग शामिल हैं.’
इस बीच, हिंसा करने वालों को परोक्ष चेतावनी देते हुए, यूपी के मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने शनिवार को एक ट्वीट में कहा, ‘उपद्रवी याद रखें, हर शुक्रवार के बाद एक शनिवार ज़रूर आता है….’ कुमार ने अपने ट्वीट के साथ एक इमारत को ध्वस्त करते हुए एक बुलडोजर की तस्वीर भी ट्वीट की.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा, ”विगत दिनों प्रदेश के विभिन्न शहरों में माहौल बिगाड़ने के लिए हुए अराजक प्रयासों में शामिल समाजविरोधी तत्वों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होगी. ऐसे असामाजिक लोगों के लिए सभ्य समाज मे कोई स्थान नहीं है. यह ध्यान रखें कि किसी भी निर्दोष का उत्पीड़न न हो, लेकिन दोषी एक भी न बचे.”
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और सहारनपुर समेत कई जिलों में पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ बीजेपी की निलंबित नेता नुपुर शर्मा की कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर कल जुमे की नमाज के बाद लोगों ने नारेबाजी और पथराव किया था.
लखनऊ में उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सहारनपुर, मुरादाबाद, रामपुर और लखनऊ जिलों से नमाज के बाद नारेबाजी की सूचना मिली थी. उन्होंने कहा कि सहारनपुर, मुरादाबाद और रामपुर में जुमे की नमाज के बाद लोगों ने सड़कों पर नारेबाजी की थी. पुलिस के मुताबिक लखनऊ के चौक इलाके में स्थित टीले वाली वाली मस्जिद के अंदर भी कुछ देर के लिए नारेबाजी हुई थी.
सहारनपुर से मिली सूचना के अनुसार नमाज के बाद कुछ लोगों ने हाथों मे तख्तियां लेकर नारेबाजी की थी. पुलिस ने बताया कि नेहरू बाजार इलाके में कुछ लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिया, जबकि देवबंद में भी नमाज के बाद मदरसे के कुछ छात्रों ने पोस्टर—बैनर लेकर नारेबाजी की थी.
गौरतलब है कि गत तीन जून को जुमे की नमाज के बाद कानपुर के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़क गई थी क्योंकि दो समुदायों के सदस्यों ने एक टीवी बहस के दौरान भाजपा की तत्कालीन प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित रूप से ‘विवादित’ टिप्पणी किए जाने के विरोध में दुकानों को बंद कराने का प्रयास किया था और इस दौरान ईंट-पत्थर फेंके गये थे.
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