कोरोना महामारी के दौरान मदरसों में की गई नियुक्तियों को लेकर खेल सामने आ रहा है. उस समय जब सभी स्कूल-कॉलेज बंद थे, वहां लॉकडाउन था, मौका देखकर मदरसों में गलत तरीके से शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्तियां कर दी गई थीं. इतना ही नहीं यूपी-मदरसा शिक्षा परिषद ने भी गुपचुप तरीके से इन्हें मंजूरी दे दी.
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उत्तर प्रदेश में 558 मदरसे हैं जो सहायता प्राप्त हैं. इनमें प्रबंधन समितियों को शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों को नियुक्त करने का अधिकार है. नियम यह है कि यहां नियुक्तियों के लिए उत्तर मदरसा शिक्षा परिषद की मंजूरी लेनी होगी. कोरोना के दौरान विभिन्न जिलों के मदरसों में बड़े पैमाने पर नियुक्तियां की गईं. वह भी तब जब 2020-21 में मदरसे, स्कूल और कॉलेज सभी बंद कर दिए गए थे.
गौरतलब है कि आजमगढ़ संभाग में ही करीब सौ नियुक्तियां हुई थीं. प्रयागराज में तीस से अधिक और कानपुर में 20 से अधिक नियुक्तियां की गईं. बताया जा रहा है कि इस दौरान कुल तीन सौ से ज्यादा नियुक्तियां की गई हैं. उधर, विपक्ष ने मदरसे में कुप्रबंधन और बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने की सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं. सपा प्रवक्ता नितेंद्र सिंह यादव ने कहा कि सरकार को मामले की जांच करनी चाहिए और छात्रों को बेहतर शिक्षा देनी चाहिए. सरकार सिर्फ जांच की बात करती है, लेकिन कुछ खास नहीं होता.
इंडिया टुडे से बात करते हुए यूपी के अल्पसंख्यक मंत्री दानिश अंसारी ने भी माना है कि भर्ती नियमों के खिलाफ की गई है और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी. अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने कहा कि मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार गंभीर है और इस पूरे मामले की जांच की जा रही है. दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
मंत्री ने कहा कि हम उन मदरसों की जांच कर रहे हैं जहां से शिकायतें मिली हैं. उन्होंने कहा, “हमारे यहां हर जगह जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी हैं, उससे ऊपर निदेशालय में रजिस्ट्रार, निदेशक हैं, जहां हमने सभी को बताया है कि हमारी मदरसा शिक्षा पारदर्शी और सही तरीके से चलाई जानी चाहिए.”
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