UP Weather Updates : भीषण गर्मी के बाद यूपी में इस साल पड़ेगी कड़ाके की ठंड? दिखेगा ला नीना का असर

यूपी तक

03 Sep 2024 (अपडेटेड: 03 Sep 2024, 08:57 PM)

Uttar Pradesh Weather Updates : सितंबर की शुरुआत हो चुकी है और इसके साथ ही बारिश का मौसम अपने अंतिम दौर में है. वहीं मॉनसून के खत्म होते ही सर्दियों का मौसम आने को है.

Uttar Pradesh Weather Updates

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Uttar Pradesh Weather Updates : मौसम के लिहाज से साल 2024 काफी उतार चढ़ाव वाला गुजर रहा है. इस साल पूरे देश में कड़ाके की सर्दी पड़ी तो वहीं बारिश के मौसम ने भी लोगों को जमकर भिगोया. फिहलाल देश के कई हिस्से भीषण बाढ़ की चपेट में हैं. इसी बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) सर्दियों के मौसम को लेकर बड़ी जानकारी दी है. IMD के अनुसार, इस साल भारत में ला नीना की वजह से कड़ाके की सर्दी पड़ सकती है.

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पड़ सकती है कड़ाके की ठंड

IMD के अनुसार, सितंबर के दौरान ला नीना घटना सक्रिय होने की उम्मीद है. इस घटना का प्रभाव उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में देखा जा सकता है. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि ला नीना का सीधा असर आने वाले ठंड के मौसम पर पड़ेगा. बंगाल की खाड़ी से आने वाले तूफानों का भी सहयोग रहेगा, जिससे उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में और ज्यादा ठंड की संभावना बढ़ सकती है.

मौसम विभाग की माने तो ला-नीना परिस्थितियां अब मॉनसून के आखिरी हफ्ते या इसके खत्म होने पर विकसित होंगी. यानी ला-नीना से मॉनसून तो बेअसर रहा, लेकिन अगर सर्दियों की शुरुआत से ठीक पहले ला-नीना परिस्थितियां बनीं तो दिसंबर के मध्य से जनवरी तक कड़ाके की सर्दी हो सकती है.

क्या है ला-नीना और अल-नीनो 

बता दें कि ला-नीना और अल-नीनो दोनों ही समुद्री और वायुमंडलीय घटनाएं हैं, जो आमतौर पर अप्रैल और जून के बीच शुरू होती हैं और अक्टूबर और फरवरी तक गति पकड़ लेती हैं. सामान्य परिस्थितियों में व्यापारिक हवाएं भूमध्य रेखा के साथ पश्चिम की ओर बहती हैं, जो दक्षिण अमेरिका से एशिया की तरफ गर्म पानी ले जाती हैं. गर्म पानी के विस्थापन से समुद्र की गहराई से ठंडा पानी ऊपर उठता है, जिससे संतुलन बना रहता है. आमतौर पर देश से मॉनसून 15 अक्टूबर तक विदा हो जाता है, ऐसे में इसके दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून पर असर डालने की संभावना नहीं है. उम्मीद है कि ये स्थितियाँ सितंबर से नवंबर के बीच विकसित हो सकती हैं और अक्टूबर से दक्षिण भारत में उत्तर-पूर्व मॉनसून पर प्रभाव डाल सकती हैं.

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