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काशी में गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा शुरू की गई श्री कृष्ण लीला के नाग नथैया के मंचन से गंगा नदी का तट वृंदावन में तब्दील हो जाता है.
शुक्रवार को एक बार फिर ऐसा नजारा काशी के तुलसी घाट पर देखने को मिला.
धर्म की नगरी काशी के लक्खा मेलों में से जिसमें लाखों की भीड़ उमड़ती है, उसमे तुलसी घाट का नाग नथैया भी एक है.
454 वर्षों से तुलसीदास द्वारा स्थापित की गई इस परंपरा में श्री कृष्ण लीला के नाग नथैया का मंचन होता है, जो हर वर्ष कार्तिक महीने पर आयोजित होता है.
नाग नथैया दृश्य के मंचन में भगवान कृष्ण बालस्वरूप में अपने सखाओं के साथ पहले घाट किनारे गेंद खेलते हैं.
फिर कथा अनुसार जैसे ही गेंद यमुना रूपी गंगा में गिर जाती है, वैसे ही गेंद निकालने के बहाने वे कालिया नाग का मर्दन करते हैं.
इस अलौकिक दृश्य के गवाह बनने हर साल हजारों-लाखों की संख्या में लोग तुलसी घाट पर आते हैं. इस बार भी आए लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं था.
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