Chand Arghya Vidhi 2024: करवा चौथ की रात को पति-पत्नी क्या करते हैं? जानें चांद को अर्घ्य देने की विधि

यूपी तक

18 Oct 2024 (अपडेटेड: 19 Oct 2024, 10:25 PM)

करवा चौथ भारत में सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. हर साल कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को यह पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है.

karva chauth

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करवा चौथ भारत में सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. हर साल कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को यह पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और रात को चांद देखने के बाद व्रत तोड़ती हैं. करवा चौथ की रात का अनुष्ठान पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है. आइए जानते हैं करवा चौथ की रात पति-पत्नी के द्वारा किए जाने वाले खास अनुष्ठान और चांद को अर्घ्य देने की विधि.

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करवा चौथ की रात पति-पत्नी का अनुष्ठान

करवा चौथ की रात को एक खास महत्व दिया जाता है. इस दिन पति-पत्नी एक साथ मिलकर पूजा करते हैं और एक-दूसरे की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं. महिलाओं के लिए यह व्रत एक कठिन तपस्या की तरह होता है, जिसमें वे पूरे दिन बिना अन्न और जल के रहती हैं. चांद के उदय होने के बाद ही उनका व्रत संपन्न होता है.

रात में चांद देखने का समय दोनों पति-पत्नी के लिए बहुत खास होता है. पत्नी चांद को देखती है, फिर पति का चेहरा देखती है और उसके बाद पति के हाथों से जल पीकर अपना व्रत तोड़ती है. इस अनुष्ठान के दौरान दोनों के बीच प्रेम और विश्वास की भावना मजबूत होती है.

चांद को अर्घ्य देने की विधि

करवा चौथ की पूजा का समापन चांद को अर्घ्य देने से होता है. यह प्रक्रिया पारंपरिक विधि से की जाती है, जिसमें चांद को जल चढ़ाने का खास महत्व होता है. करवा चौथ की पूजा के लिए जरूरी सामग्री जैसे दीपक, चावल, रोली, करवा, जल से भरा कलश, और छलनी तैयार रखें. पूजा की थाली को अच्छे से सजाएं, जिसमें मिठाई और सिंदूर भी रखें. जैसे ही चांद उदित होता है, महिलाएं अपने परिवार के साथ आंगन या छत पर जाकर चांद के दर्शन करती हैं. महिलाएं छलनी से चांद को देखती हैं और फिर अपने पति को देखकर मन ही मन उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. चांद देखने के बाद महिलाएं कलश या थाली में जल भरकर चांद को अर्घ्य देती हैं. अर्घ्य देते समय महिलाओं को सिर पर पल्लू लेकर खड़ा होना चाहिए और पूरे सम्मान के साथ भगवान चंद्र को जल अर्पित करना चाहिए.

अर्घ्य देने के बाद महिलाएं अपने पति के हाथों से जल ग्रहण करती हैं और इसके बाद अन्न का सेवन करती हैं. व्रत तुड़वाने के इस अनुष्ठान को पति-पत्नी के बीच के प्रेम और रिश्ते की मजबूती के रूप में देखा जाता है. व्रत तोड़ने के बाद पति अपनी पत्नी को आशीर्वाद देते हैं और कई जगहों पर उपहार भी देते हैं.यह उपहार उनके आपसी प्रेम और रिश्ते की मिठास को बढ़ाता है.

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करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ का पर्व न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है बल्कि यह पति-पत्नी के बीच के संबंधों को और गहरा बनाने का प्रतीक भी है. यह दिन महिलाओं के लिए उनके पति के प्रति समर्पण और त्याग का प्रतीक होता है. इस व्रत में महिलाएं अपनी पूरी शक्ति और आस्था के साथ भाग लेती हैं और यह मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति की आयु लंबी होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

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