दीपावली के बाद वाराणसी में वायु प्रदूषण का स्तर काफी हद तक बढ़ गया है. एयर क्वालिटी इंडेक्स मॉडरेट लेवल तक चला गया है, जिससे लोगों को सांस संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं.
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क्लाइमेट एजेंडा की रिपोर्ट की मानें तो वाराणसी में इस बार ना तो प्रशासन की अपील को सुना गया और ना ही ग्रीन पटाखे के जलाने पर किसी ने ध्यान दिया. लिहाजा वाराणसी दिवाली के बाद गैस चैम्बर की तरह बनता नजर आया. और तो और एनजीटी के नियमों की भी जमकर अवहेलना की गई.
शहर के 12 विभिन्न इलाकों में वायु गुणवत्ता जांच की मशीनें लगा कर दिवाली की अगली सुबह तीन बजे से आठ बजे तक यह आंकड़े एकत्र किए गए.
प्राप्त आंकड़ों के बारे में मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर ने बताया कि शहर में पीएम 10 मुख्य प्रदूषक तत्व रहा. इंगलिशिया लाइन, पांडेयपुर और आशापुर सबसे अधिक प्रदूषित रहा जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक विश्व स्वास्थ्य संगठन की तुलना में 6 गुणा अधिक प्रदूषित रहा, जबकि भारत सरकार द्वारा घोषित मानकों की तुलना में उपरोक्त तीनों स्थान तीन गुणा अधिक प्रदूषित पाए गए.
उन्होंने आगे कहा कि लहुराबीर, आशापुर और मैदागिन क्षेत्र भी कमोबेश एक जैसे ही पाए गए, जहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक डब्ल्यूएचओ के मानकों की तुलना में लगभग 5 गुणा अधिक प्रदूषित रहा जबकि भारत सरकार के मानकों की तुलना में 2.5 गुणा अधिक प्रदूषित रहा.
ज्ञात हो कि डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुसार जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 45 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से ऊपर जाए तो हवा को प्रदूषित मानते हैं, जबकि भारत सरकार के द्वारा तय मानकों के अनुसार जब यह आंकड़ा 100 के पार पहुंचे तब शहर को प्रदूषित माना जाता है. लंबे समय से डब्ल्यूएचओ का यह आग्रह है कि वैश्विक स्तर पर जन स्वास्थ्य सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सभी देश उनके द्वारा घोषित मानदंड का ही अनुपालन सुनिश्चित करें.
बढ़े प्रदूषण स्तर को लेकर वाराणसी के लोगों ने क्या कुछ कहा? यह देखने के लिए खबर की शुरुआत में शेयर किए गए Varanasi Tak के वीडियो पर क्लिक करें.
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