उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में उपचुनाव (Bypolls) के लिए मतदान संपन्न हो चुका है. अब सभी की निगाहें 8 दिंसबर को आने वाली चुनावी नतीजों पर हैं. सूबे की राजनीतिक पार्टियों खासतौर पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी के लिए ये सीट प्रतिष्ठा की ऐसी लड़ाई बन गई है, जिन पर सिर्फ उत्तर प्रदेश की ही नहीं बल्कि पूरे देशभर की निगाहें टिकी हैं. सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद यहां लोकसभा का उपचुनाव हो रहा है.
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बता दें कि मैनपुरी लोकसभा सीट पर सोमवार को हो रहे उपचुनाव में मतदान की गति धीमी रही और शाम 5 बजे तक केवल 49.5 प्रतिशत मतदान हुआ.
मैनपुरी लोकसभा सीट मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई है. मुलायम यहां से 2019 में लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे. मैनपुरी सीट पर मुलायम की बहू डिंपल यादव चुनाव लड़ रही हैं, तो बीजेपी ने कभी मुलायम के करीबी रहे रघुराज शाक्य को मैदान में उतारा है. मैनपुरी में यादव वोट बड़ी संख्या में हैं. जबकि उसके बाद शाक्य वोट हैं. मैनपरी सीट पर लगभग 17 लाख वोटर हैं. इनमें तकरीबन 4.30 लाख वोटर यादव हैं. इसके बाद 2.90 लाख शाक्य वोटर हैं.
साथ ही यहां 1.80 लाख दलित वोटर हैं. चुनावी मैदान से बसपा गायब है. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि यह वोट अगर बीजेपी के साथ आ गए तो मैनपुरी में यादव परिवार का वर्चस्व खत्म हो सकता है. मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि रही मैनपुरी सीट को बचाने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने किसी तरह की कोई भी गुंजाइश नहीं छोड़ी है. डिंपल यादव के नामांकन के नामांकन के बाद से अखिलेश मैनपुरी में डेरा डाले हैं और चाचा शिवपाल यादव के साथ भी अपने सारे गिले-शिकवे दूर कर लिए हैं.
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