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नवादा स्थित चक महमूद मोहल्ले में ये घर खुद में सब कुछ बंया करता है. भगवा रंग के दरवाजे के अंदर हरे रंग की दीवार है. दरवाजे के पास में ही छोटा सा शौचालय और खुला बाथरूम है. कुछ ही दूरी पर छोटा सा कमरा जिसमें हर्ष पंडित और उसकी बहन रहते थे और एक बरामदा है. हर्ष पंडित के माता-पिता खटिया पर रहते हैं उसी कमरे में खाना बनाने के लिए रसोई भी है. बस इतनी-सी जिंदगी हर्ष की परिवार की है. माता पिता तो ये भी कहते हैं कि बरसात के दिनों में सिर छुपाने के लिए भी जगह ठीक से नहीं मिल पाती. लेकिन अब ये घर और दरक चुका है, क्योंकि इसके दरवाजे पर दंगे का आरोप है.
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