उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए रविवार, 20 फरवरी को 16 जिलों की 59 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई. 2017 के चुनावों की बात करें तो इन 59 सीटों में से बीजेपी को 49 सीटों पर जीत मिली थी. वोटिंग समाप्त होने के बाद यूपी तक ने अपने खास डिबेट कार्यक्रम कौन जीत रहा है यूपी? में एक्सपर्ट्स की मदद से रविवार को हुई तीसरे फेज की वोटिंग के मायने समझने की कोशिश की.
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डिबेट में शामिल हुए वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान ने बताया कि उनकी सूचनाओं के मुताबिक तीसरा फेज कुछ-कुछ पहले दो पेज की तरह जाता दिखा है. उनके मुताबिक, ‘2017 के चुनावों में पहले दो चरणों में 113 में बीजेपी ने 91 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार उनके खुद अपने नेता मान रहे हैं कि इससे काफी कम सीटें आ रही हैं. ऐसे में अगर तीसरे फेज में अखिलेश यादव को बढ़त मिलती दिख रही है, वो बीजेपी के लिए अलार्मिंग है.’
शरत प्रधान ने आगे बताया कि खासकर ग्रामीण इलाकों में अग्रेसिव पोलिंग हुई है, जबकि शहरी इलाकों में ऐसा उत्साह नहीं है. यह भी स्थिति बीजेपी के लिए नुकसान वाली लग रही है.
हमने तीसरे फेज की पोलिंग के दौरान हाथरस, एटा जैसी जगहों पर ग्राउंड पर मौजूद रहे हमारे वरिष्ठ कुमार कुणाल से जमीनी हकीकत को समझना चाहा. कुमार कुणाल ने बताया, ‘मुझे जो फीडबैक मिला है उसके मुताबिक एसपी का कोर वोटर उन्हें वोट कर रहा है. इस फेज में मुस्लिम डॉमिनेटड विधानसभा सीट नहीं हैं. ऐसे में अखिलेश के लिए एक चुनौती थी कि क्या बिना मुस्लिम वोट से अखिलेश को बढ़त मिलेगी? कई इलाकों में पूरी तरह तो नहीं लेकिन काफी हद तक दूसरी पिछड़ी जातियां भी समाजवादी पार्टी की तरफ आती नजर आ रही हैं. इसी तरह कुछ इलाकों में दलित वोटर्स भी समाजवादी पार्टी गठबंधन की तरफ जाते दिखाई दे रहे हैं.’
डिबेट में शामिल हमारे दूसरे वरिष्ठ सहयोगी कुमार अभिषेक खुद इस चरण की सबसे हॉट सीट करहल में ग्राउंड पर मौजूद थे. कुमार अभिषेक ने बताया कि निश्चित तौर पर करहल में अखिलेश यादव के लिए बढ़िया माहौल रहा है. खासकर यादव डॉमिनेटेड इलाकों में उनकी स्थिति काफी मजबूत है. हालांकि कुमार अभिषेक के मुताबिक जहां मिक्स आबादी है, वहां बीजेपी के कैंडिडेट एसपी सिंह बघेल के पक्ष में भी लोग नजर आए.
कुमार अभिषेक ने ओवरऑल स्थिति को लेकर अपना आकलन बताते हुए कहा कि ऐसी स्थिति नहीं है कि बीजेपी अपना सोशल बेस गंवा रही है. उनके मुताबिक जहां कैंडिडेट्स को लेकर नाराजगी है, वहां बीजेपी का सोशल बेस दरक रहा है. कुमार अभिषेक ने अपना ऑब्जर्वेशन साझा करते हुए बताया कि मोटामोटी बीजेपी 2017 और 2019 का सोशल बेस मेंटेन करती हुई नजर आ रही है. लेकिन कैंडिडेट्स की नाराजगी बीजेपी को भारी पड़ सकती है.
इस पूरी डिबेट को ऊपर शेयर किए गए वीडियो पर क्लिक कर देखा और सुना जा सकता है.
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