लोकआस्था का महापर्व छठ या इसे सूर्य उपासना की वजह से इस पर्व को सूर्य षष्टि भी कहा जाता है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू पति-पुत्र और सुख समृद्धि का यह महापर्व जितना कठिन है, उतना ही है इस व्रत का लाभ है और इसके पीछे धर्मिक मान्यताए की जड़ें भी उतनी ही मजबूत हैं.
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धर्म की नगरी काशी के गंगा घाट किनारे कल (रविवार) ढलते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद से ही व्रती महिलाएं घाट किनारे डटी हुई थीं और फिर आज तड़के सुबह से ही हल्की ठंड में गंगा की लहरों में खड़ी होकर भगवान भास्कर के दर्शन के लिए आकाश में टकटकी लगाई रहीं और जैसे ही सूर्य भगवान के दर्शन हुए वैसे ही काशी के सभी 84 गंगा घाट हर-हर महादेव और जय सूर्य नारायण के उद्घोष के साथ गूंज उठे.
भगवान भास्कर के दर्शन पाकर सभी महिलाओं और उनके परिजनों ने बारी-बारी अर्घ्य दिया और अपने इस कठिन व्रत को सफलता पूर्वक पूर्ण किया. जहां एक और वाराणसी के अस्सी घाट पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे तो वहीं काशी के सभी 84 घाटों को मिलाकर लाखों की संख्या में व्रती महिलाएं और आस्थावान उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पहुंचे थे.
इस मामले से जुड़ी वीडियो रिपोर्ट को खबर की शुरुआत में शेयर किए गए Varanasi Tak के वीडियो पर क्लिक कर देखें.
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