वाराणसी के स्थानीय अदालत में साल 1991 से काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद का मामला चल रहा है. 18 अगस्त 2021 को बनारस की 5 महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी में नियमित दर्शन करने सहित अन्य विग्रहों की देखरेख और इसकी सुरक्षा की गुहार कोर्ट में लगाई थी.
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महिला वादियों ने वाराणसी के सिविल जज डिवीजन में एक वाद दाखिल कर मौका मुयाना के लिए सर्वे और वीडियोग्राफी की अनुमित मांगी थी. कोर्ट ने मामले में वादियों की मांगों को स्वीकार करते हुए कमिश्नर को नियुक्ति किया. मगर किन्हीं कारणों से दो बार कमिश्नर नहीं जा सके. एक बार से फिर कोर्ट ने अपने पुराने आदेश को बरकरार रखते हुए ईद के बाद वीडियोग्राफी की कार्रवाई को अनुमित दे दी है.
इस मामले में मुस्लिम पक्ष के अंजुमन इंतजामिया कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी मोहम्मद यासीन ने यूपी तक से खास बातचीत में कहा कि अब देखा जाता है कि ईद के बाद किस तरह का रुख होता है कमिश्ननर के जाने का और किस तरह की कार्रवाई करने का?
श्रृंगार गौरी के अलावा करीब आधा दर्जन पॉइंट्स पर बैरिकेडिंग के अंदर भी जाने की अनुमति दे दी गई है. इस पर मोहम्मद यासीन ने कहा, “मस्जिद के बाहर का हिस्सा बैरिकेडिंग के पास वाला क्षेत्र सीआरपीएफ के हवाले हैं. वे वहां कैसे कमिश्नर चले जाएंगे? कोर्ट ने क्या इसकी अनमुति दी है?” उन्होंने आगे कहा कि मेन गेट से सिर्फ मुसलमान मस्जिद के अंदर जा सकते हैं, जबकि पीछे वाले दरवाजे से मुसलमान और सुरक्षाकर्मी जा सकते हैं.
मामले में कोर्ट ने आदेश दे दिया है, जिसके तहत मस्जिद के अंदर सर्वे करने के लिए तो कमिश्ननर जा ही सकते हैं? इस सवाल के जवाब में मोहम्मद यासीन ने कहा, “मस्जिद मैं तो हम लोग नहीं जाने देंगे, उसका प्रबल विरोध होगा. क्योंकि मस्जिद के अंदर जाने का कोई मतलब ही नहीं, वीडियोग्राफी करने का कोई मतलब ही नहीं है. अगर इनको वहां वीडियोग्राफी करने की अनुमित मिल जाएगी तो वहां सभी लोग अपना कैमरा लेकर जाएंगे.”
कोर्ट के आदेश की अवहेलना के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह अंजाम भुगतने के लिए तैयार हैं, लेकिन मस्जिद की बैरिकेडिंग के अंदर नहीं जाने देंगे.
(मोहम्मद यासीन का पूरा इंटरव्यू देखने के लिए ऊपर दिए गए वीडियो पर क्लिक करें)
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